ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र- सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र
देवउठनी एकादशी : भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति और श्रद्धा के साथ पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। आइए जानें इस दिन किन उपायों को करने से आपकी किस्मत जाग जाएगी।
हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के रूप में जाना जाता है। इसे प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के नाम से भी संदर्भित किया जाता है। इस दिन जातक पूजा, अर्चना और व्रत का आयोजन करते हैं। प्रत्येक महीने आने वाली एकादशी के अतिरिक्त देवउठनी और देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व होता है। देवउठनी एकादशी पर किए गए उपायों से आर्थिक परेशानियाँ दूर होती हैं।
आज है देवउठनी एकादशी
1. विवाह के अवसर के लिए उपाय
यदि किसी व्यक्ति को विवाह से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो उसे देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते समय केसर, हल्दी या पीले चंदन से तिलक करना चाहिए। इसके बाद श्री हरि को पीले रंग के फूल अर्पित करें। ऐसा करने से यह विश्वास किया जाता है कि विवाह के अवसर शीघ्र उत्पन्न होते हैं।
2. कर्ज से छुटकारा
कर्ज से छुटकारा पाने के लिए देवउठनी एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाना आवश्यक है। इसके पश्चात, शाम को वृक्ष के नीचे दीप जलाना चाहिए। मान्यता है कि इन उपायों को अपनाने से व्यक्ति को जल्दी ही कर्ज से मुक्ति मिल सकती है।
3. भाग्य का उदय
देवउठनी एकादशी के दिन, आप माता तुलसी के समक्ष घी के 5 दीपक प्रज्वलित करें। इसके साथ ही, भगवान विष्णु और माता तुलसी की विधिपूर्वक पूजा करें। इस उपाय को अपनाने से आपके जीवन में आने वाली सभी प्रकार की रुकावटें समाप्त होती हैं और भाग्य का उदय होता है।
देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत के जागरण का महत्व
नारदजी ने कहा: हे पिता, एक संध्या को भोजन करने से, रात्रि में भोजन करने तथा पूरे दिन उपवास करने से क्या-क्या फल मिलता है I
ब्रह्माजी ने कहा: हे नारद, एक संध्या को भोजन करने से दो जन्म के तथा पूरे दिन उपवास करने से सात जन्म के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। जिस वस्तु का त्रिलोक में मिलना दुष्कर है, वह वस्तु भी प्रबोधिनी एकादशी के व्रत से सहज ही प्राप्त हो जाती है। प्रबोधिनी एकादशी के व्रत के प्रभाव से बड़े-से-बड़ा पाप भी क्षण भर में नष्ट हो जाता है। पूर्व जन्म के किए हुए अनेक बुरे कर्मों को प्रबोधिनी एकादशी का व्रत क्षण-भर में नष्ट कर देता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी के व्रत का फल एक सहस्र अश्वमेध तथा सौ राजसूय यज्ञ के फल के बराबर होता है।
स्वभावानुसार प्रबोधिनी एकादशी का विधानपूर्वक व्रत करने से प्राप्त होता है पूर्ण फल
प्रबोधिनी एकादशी के व्रत का महत्व
- जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक इस दिन किंचित मात्र पुण्य करते हैं, उनका पुण्य पर्वत के समान अटल हो जाता है।
- जो मनुष्य अपने हृदय में यह सोचते हैं कि प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करूंगा, उनके सौ जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।
- जो मनुष्य रात्रि को जागरण करते हैं, उनकी बीती हुई तथा आने वाली 10 पीढ़ियां विष्णु लोक में जाकर वास करती हैं।
- ब्रह्महत्या आदि विकट पाप भी प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागरण करने से नष्ट हो जाते हैं।
- इस एकादशी के व्रत से कायिक, वाचिक और मानसिक तीनों प्रकार के पापों का शमन होता है।
- प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि का पूजन करने के बाद यौवन और वृद्धावस्था के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
- जो मनुष्य इस एकादशी व्रत को करता है, वह धनवान, योगी तपस्वी तथा इंद्रियों को जीतने वाला होता है, क्योंकि एकादशी भगवान विष्णु की प्रिय है।
अवधारणीय कथाएँ
- प्रबोधिनी एकादशी के दिन रात्रि को जागरण का फल सूर्य ग्रहण के समय स्नान करने के फल से सहस्र गुना ज्यादा होता है।
- प्रभु दान आदि से उतने प्रसन्न नहीं होते, जितने कि शास्त्रों की कथा सुनने से प्रसन्न होते हैं।
- जो मनुष्य कार्तिक माह के धर्मपरायण होकर दूसरों का अन्न नहीं खाते, उन्हें चांद्रायण व्रत के फल की प्राप्ति होती है।