इंद्र का वज्र प्रहार जो उनकी ठोड़ी (हनु) पर लगा, उसी से उनका नाम हनुमान पड़ा
डॉ. उमाशंकर मिश्रा,संवाददाता : आज चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि, शनिवार के दिन, हनुमान जी महाराज का पावन जन्म दिवस है। इस शुभ अवसर पर यदि घर के मुख्य द्वार पर हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर विधिपूर्वक पूजन किया जाए, तो यह घर की समस्त समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त करता है। साथ ही, घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है तथा घर के प्रत्येक सदस्य को हनुमान जी की कृपा का अनुभव होता है।
हनुमान जी की तस्वीर लगाने के नियम एवं लाभ
- हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं, अतः उनकी तस्वीर कभी भी शयनकक्ष (बेडरूम) में नहीं लगानी चाहिए। यह वास्तु के अनुसार अशुभ मानी जाती है।
- हनुमान जी की तस्वीर घर या दुकान में दक्षिण दिशा की ओर लगाना श्रेष्ठ होता है, क्योंकि उन्होंने अपनी दिव्य शक्तियों का प्रदर्शन दक्षिण दिशा की ओर ही किया था।
- हनुमान जी की पंचमुखी रूप में, पर्वत उठाते हुए अथवा रामभक्ति में लीन तस्वीर लगाना उत्तम माना गया है। इससे वास्तुदोष और अन्य बाधाएं दूर होती हैं।
- यदि हनुमान जी की तस्वीर उत्तर दिशा में लगाई जाए, तो वह दक्षिण से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को रोकते हैं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- ऐसी तस्वीर जिसमें हनुमान जी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हों, जैसे लंका दहन, पर्वत उठाना, समुद्र लांघना आदि, उस प्रकार की तस्वीर घर में लगाने से नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश नहीं होता।
हनुमान जी के द्वादश नाम – स्तुति और महत्व
धर्मग्रंथों एवं गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीहनुमान अंक के अनुसार, हनुमान जी के 12 नामों का जो व्यक्ति प्रातः उठकर, रात्रि में सोने से पूर्व अथवा यात्रा प्रारंभ करते समय जप करता है, वह भय से मुक्त होता है और अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
स्तुति इस प्रकार है:
हनुमान अंजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबलः।
रामेष्टः फाल्गुनसखः पिंगाक्षोऽमितविक्रमः।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशनः।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मनः।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च यः पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।
राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।
इन 12 नामों का महत्व
- हनुमान – देवराज इंद्र द्वारा किए गए वज्र प्रहार के कारण जो उनकी ठोड़ी (हनु) पर लगा, उसी से उनका नाम हनुमान पड़ा।
- लक्ष्मणप्राणदाता – जब लक्ष्मण मूर्छित हुए थे, तब हनुमान जी संजीवनी बूटी लाकर उन्हें जीवनदान दिया।
- दशग्रीवदर्पहा – रावण (दशग्रीव) के घमंड का हनन करने के कारण यह नाम प्रसिद्ध हुआ।
- रामेष्ट – श्रीराम के परम प्रिय भक्त होने के कारण।
- फाल्गुनसख – अर्जुन (फाल्गुन) के मित्र के रूप में महाभारत में रथध्वज पर विराजमान हुए।
- पिंगाक्ष – भूरी आँखों वाले, जैसा कई धर्मग्रंथों में वर्णन है।
- अमितविक्रम – अत्यधिक पराक्रमी, जिन्होंने असंभव कार्य भी संपन्न किए।
- उदधिक्रमण – समुद्र को लांघने वाले, जब वे सीता माता की खोज में लंका गए।
- अंजनीसुत – माता अंजनी के पुत्र होने के कारण।
- वायुपुत्र – पवन देव के पुत्र होने के कारण।
- महाबल – अद्भुत बलशाली, जिनके बल की कोई सीमा नहीं।
- सीताशोकविनाशन – माता सीता के शोक का अंत करने वाले।