पूर्व आइपीएस के बेटे के इशारे पर वर्ष 2018 में रेस्टोरेंट संचालक मनीष मिश्रा को तत्कालीन गल्ला मंडी प्रभारी नेपाल सिंह ने बनाया था अपराधी, जेल से छूटा तो फिर भेजने की थी तैयारी
लखनऊ: आज हम सीतापुर के मूल निवासी एक ऐसे रेस्टोरेंट संचालक मनीष मिश्र की दर्द भरी दास्तां उन्हीं कि जुबानी आपसे साझा करने जा रहे हैं, जिन्हें वर्ष 2018 में लखनऊ के रिटायर्ड आइपीएस के बेटे संतोष सिंह के इशारे पर अलीगंज थाने के तत्कालीन गल्ला मंडी प्रभारी नेपाल सिंह ने अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भेज दिया। अब इस व्यापारी का सबकुछ दांव पर है। जेल गया तो पत्नी देखने जा रही थी आरोप है कि दुर्घटना कराकर उसकी हत्या करा दी गई। जेल से छूटा तो फिर जेल भेजने के लिए छेड़खानी का झूठा मुकदमा करा दिया गया, पुलिस कमिश्नर कार्यालय की जांच में यह मामला भी फर्जी निकला। अब इस व्यापारी को जान का खतरा है। दोषी पुलिसकर्मियों पर पीड़ित की तहरीर पर तत्कालीन प्रथम पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय ने जांच कराकर अलीगंज थाने पर एफआइआर कराई। लखनऊ सीबीसीआइडी मामले की जांच कर रही है। न्यायालय में पीड़ित को मुकदमे की पैरवी करने के दौरान आरोपित जान से मारने की धमकी देकर तमाम अड़चने पैदा कर रहे हैं। मनीष मूलरूप से सीतापुर के निवासी हैं, लखनऊ में मड़ियांव थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं।
कर्जदार हो गया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी
मनीष का कहना है कि इंसाफ की लड़ाई लड़ते लड़ते वह कर्जदार हो गया, लेकिन इंसाफ के लिए हिम्मत नहीं हारी। मनीष को न्याय पालिका पर पूरा भरोसा है। इसीलिए वह मुकदमे की पैरवी के लिए सबकुछ दांव पर लगा चुके हैं।
यह था मामला
अलीगंज में सिटी कैफे के मालिक मनीष मिश्र और उनके दिव्यांग नौकर इरफान उर्फ राजू के खिलाफ पांच फर्जी मुकदमे दर्ज कर दोनों को वर्ष 2018 में जेल भेज दिया गया था। वर्ष 2018 में हुई सीबीसीईडी जांच में यह मामला पूरी तरह से फर्जी निकला। इसमें दो सब इंस्पेक्टर समेत चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ अलीगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था।
पूर्व आइपीएस के बेटे के इशारे पर हुआ पूरा खेल
सीबीसीआइडी के इंस्पेक्टर आजाद सिंह केसरी के मुताबिक वर्ष 2012 में मनीष ने रिटायर आइपीएस के बेटे अहिबरनपुर निवासी संतोष कुमार के भवन को किराए पर लेकर सिटी कैफे नाम से रेस्त्रां खोला था। रेस्टोरेंट काफी अच्छा चल रहा था। इस बीच मनीष ने 40 लाख रुपये में इस भवन को खरीदने का सौदा किया। मनीष ने बीस लाख रुपये उसके खाते में जमा भी कर दिए। पर रजिस्ट्री बात करने पर संतोष ने टालमटोल रवैया अपना लिया। फिर न रजिस्ट्री की और न ही रुपये वापस किये। इसपर मनीष ने गल्ला मंडी पुलिस चौकी पर तहरीर दी। गल्ला मंडी चौकी प्रभारी नेपाल सिंह और अन्य पुलिसकर्मियों ने चौकी पर दोनों को बुलाया और कई घंटे बैठाए रखा। इसके बाद आइपीएस के बेटे के इशोर पर मनीष और उसके नौकर को एटीएम में लूट की साजिश रचने का फर्जी मामला बनाकर जेल भेज दिया।
मनीष को सरगना बताया, जांच में मामला निकला फर्जी
वर्ष 2018 में 16 जुलाई को इस कार्रवाई वाले दिन ही चार अन्य मामलों में भी दोनों की संलिप्त दिखाकर बड़ा अपराधी बताया गया। बकायदा प्रेस नोट जारी कर उनको गिरोह का सरगना बताकर जेल भेज दिया। इस मामले में विवेचना पूरी करके चौकी प्रभारी ने बिना इंस्पेक्टर को बताए रिपोर्ट भी कोर्ट में दे दी जाए। जांच में एटीएम बूथ पर किसी घटना के न होने की पुष्टि हुई। सीसी फुटेज में भी मामला फर्जी निकला।
बोले हाई कोर्ट के अधिवक्ता, एसआइटी कर रही जांच, मनीष बेगुनाह
मनीष के मुकदमे की पैरवी कर रहे हाई कोर्ट के वकील इरशाद अली का कहना है कि मनीष बेगुनाह है, जो भी पुलिसकर्मियों ने उसे फर्जी मुकदमों में जेल भेजा, उनको हाई कोर्ट सजा जरूर देगा। संबंधित मामले में हाई कोर्ट ने एसआइटी का गठन किया है, जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई हाई कोर्ट करेगा।