नयी दिल्लीः सीबीडीटी(केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) ने फिर से स्पष्ट किया कि सभी करदाताओं को आयकर क्लियरेंस प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है, लेकिन कुछ मामलों की इसकी जरूरत होगी।
स्पष्टीकरण में कहा कि आयकर अधिनियम, 1961 (‘अधिनियम’) की धारा 230 (1ए) भारत में रहने वाले व्यक्तियों द्वारा, कुछ परिस्थितियों में, कर निकासी प्रमाणपत्र प्राप्त करने से संबंधित है। जैसा कि यह कहा गया है, उक्त प्रावधान वित्त अधिनियम, 2003 के माध्यम से दिनांक 01 जनवरी 2003 से लागू हुआ।
एक जून 2003. वित्त (नंबर 2) अधिनियम, 2024 ने अधिनियम की धारा 230(1ए) में केवल एक संशोधन किया है, जिसके तहत काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम, 2015 का संदर्भ दिया गया है। उक्त धारा में काला धन अधिनियम’) जोड़ा गया है। यह सम्मिलन काले धन अधिनियम के तहत देनदारियों को उसी तरह से कवर करने के लिए किया गया है जैसे आयकर अधिनियम, 1961 और आय की धारा 230 (1 ए) के प्रयोजन के लिए प्रत्यक्ष करों से संबंधित अन्य अधिनियमों के तहत देनदारियों को कवर करने के लिए किया गया है।