दिन और रात दोनों समय में काम करने में सक्षम है यह सिस्टम
नई दिल्ली,संवाददाता : ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायु सुरक्षा की सफलता के बाद, रक्षा मंत्रालय ने अब अपनी ताकत को और बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनाती के लिए तीन क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM) रेजिमेंट खरीदने पर विचार कर रहा है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 30,000 करोड़ रुपए बताई जा रही है।
स्वदेशी तकनीक से तैयार आधुनिक मिसाइल प्रणाली
QRSAM एक पूर्णतः स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने विकसित किया है। यह सिस्टम दिन और रात दोनों समय में काम करने में सक्षम है और चलते फिरते लक्ष्य को पहचानने, ट्रैक करने और तुरंत प्रतिक्रिया देने में सक्षम है। अधिकारियों के अनुसार, QRSAM की 30 किलोमीटर तक की रेंज है और यह मौजूदा ‘आकाश’ सिस्टम का पूरक बनकर कार्य करेगा। इसकी मोबिलिटी (तेजी से स्थान परिवर्तन की क्षमता) इसे युद्धक्षेत्र में अत्यंत उपयोगी बनाती है।
ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाई भारतीय एयर डिफेंस की ताकत
7 से 10 मई तक चले ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की वायु सुरक्षा प्रणाली — जिसमें आकाशतीर, S-400, आयरन ड्रोन और D4S जैसे सिस्टम शामिल थे — ने दुश्मन की हर कोशिश को नाकाम किया। इसी ऑपरेशन में DRDO द्वारा विकसित D4S सिस्टम (Detect, Deter, Destroy & Suppress) ने पाकिस्तानी ड्रोन हमलों को विफल किया। D4S प्रणाली सॉफ्ट किल (जैसे इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग, GPS स्पूफिंग) और हार्ड किल (लेजर आधारित हथियार) तकनीक से लैस है। अब यही सिस्टम ताइवान (रिपब्लिक ऑफ चाइना) जैसे देशों की नजर में है, जिन्होंने भारत से D4S सिस्टम खरीदने की रुचि दिखाई है।
भविष्य की तैयारी: नई रेंज और नई टेक्नोलॉजी
रक्षा मंत्रालय ने यह भी संकेत दिए हैं कि आने वाले वर्षों में DRDO:
- 6 किमी रेंज वाला शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम
- और 350 किमी रेंज वाला ‘प्रोजेक्ट कुशा’ सिस्टम
तैयार कर रहा है, जिसे 2029 तक सेवा में शामिल किया जाएगा।
इसके अलावा, सेना को तुर्की और चीनी ड्रोन खतरों से निपटने के लिए नए रडार, जैमर और लेजर-आधारित प्रणालियों से भी लैस किया जा रहा है।