एक वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में अहम कदम
नई दिल्ली, संवाददाता : भारत आज वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अपना केंद्रीय बजट पेश करने जा रहा है, जिसमें रक्षा बजट की विशेष चर्चा होगी। रक्षा बजट भारत के वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहलू है, और पूरी दुनिया की नजर इस पर है कि भारत इस बार अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए कितना खर्च करेगा। भारत का 2024 में जारी रक्षा बजट 75 बिलियन डॉलर था, जो भारतीय जीडीपी का करीब 2.5 प्रतिशत था। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत इस समय रक्षा क्षेत्र में दुनिया के टॉप फाइव देशों में शामिल है, और इस बार के बजट में इसके और बढ़ने की संभावना है। 2024 का रक्षा बजट पिछले वर्ष से 4.72% अधिक था, जिसमें सेना के वेतन, पेंशन, आधुनिकीकरण, अनुसंधान एवं विकास पर खर्च किया गया था।
रक्षा बजट 2025 की प्रमुख उम्मीदें:
- आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता: विशेषज्ञों के अनुसार, इस बजट में सरकार को आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता और तकनीकी प्रगति पर जोर देना चाहिए। यह रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ, सशस्त्र बलों की आधुनिकीकरण की जरूरतों को पूरा करेगा।
- रक्षा अनुसंधान और विकास: उन्नत अनुसंधान और विकास में निवेश के लिए रणनीतिक नीतिगत प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है, जिससे भारत वैश्विक रक्षा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बन सके।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: रक्षा खर्च में वृद्धि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सशक्त बनाएगी, खासकर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के बीच।
दुनिया के रक्षा बजट में भारत की स्थिति:
- संयुक्त राज्य अमेरिका: 2024 में अमेरिका का रक्षा बजट 895 बिलियन डॉलर था, जो उसकी जीडीपी का 3.4% है।
- चीन: चीन का रक्षा बजट 266 बिलियन डॉलर था, जो उसकी जीडीपी का 1.7% है।
- रूस: रूस का रक्षा बजट 126 बिलियन डॉलर था, जो उसकी जीडीपी का 5.9% है।
- भारत: भारत का रक्षा बजट 75 बिलियन डॉलर था, जो इसकी जीडीपी का 2.4% था।
- सऊदी अरब: सऊदी अरब का रक्षा बजट 74 बिलियन डॉलर था, जो उसकी जीडीपी का 7.1% था।
आवंटन और खर्च:
2024-25 के लिए रक्षा मंत्रालय को 6,21,941 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जो केंद्र सरकार के कुल खर्च का 13% था। यह रक्षा मंत्रालय का अब तक का सबसे बड़ा आवंटन था, जिसमें सशस्त्र बलों की वेतन, पेंशन, आधुनिकीकरण, अनुसंधान और विकास पर खर्च शामिल था।
भारत का रक्षा क्षेत्र और भविष्य:
इस बजट में बढ़ोतरी से भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और तकनीकी विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करेगा।