शेष जीवन को सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में समर्पित करने का लिया संकल्प
प्रयागराज,संवाददाता : राखी, जो कभी अपनी मेहनत से आईएएस बनने का सपना देखती थी, अब उसी सपने को छोड़कर एक नई राह पर चल पड़ी है। महज 13 साल की उम्र में उसने अपने परिवार, रिश्तेदारों और सहेलियों का मोह छोड़ दिया और जूना अखाड़ा में साध्वी बनने का संकल्प लिया। राखी ने जूना अखाड़े में दाखिल होते समय अपना नाम गौरी रखा और अपने शेष जीवन को सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में समर्पित करने का संकल्प लिया Iप्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन होने जा रहा है, और उससे पहले ही आगरा की एक छोटी सी लड़की ने दीक्षा लेकर सभी को हैरान कर दिया है। टरकपुरा गांव की राखी, जो नौवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है और एक पेठा व्यापारी की बेटी है, का झुकाव शुरू से ही आध्यात्म की ओर था। हालांकि, उसके परिवार को यह कभी नहीं पता था कि वह एक दिन साध्वी बन जाएगी। उसकी यह यात्रा अब चर्चा का विषय बन गई है।
20 दिसंबर को महाकुंभ घूमने आया था परिवार
आगरा के पेठा व्यवसायी रोहतान सिंह के बेटे दिनेश सिंह अपने परिवार के साथ महाकुंभ में हिस्सा लेने पहुंचे थे, तभी अचानक दिनेश की 13 वर्षीय बेटी राखी के मन में वैराग्य का भाव जागृत हो गया। राखी की इस नई सोच से उसके मां-बाप को गहरा झटका लगा, लेकिन वे उसे अपने फैसले को बदलने के लिए मजबूर नहीं कर सके। 14 मढ़ी जूना अखाड़ा के श्रीमहंत कौशल गिरि के माध्यम से राखी का शिविर में प्रवेश कराया गया, जहां उसने अपनी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की।राखी के पिता ने एक वीडियो चैनल से बात करते हुए अपनी भावनाओं का खुलकर इजहार किया। उन्होंने कहा, “मेरी बच्ची का जन्म इस रूप के लिए हुआ है। मैं काफी खुश हूं कि राखी मेरी बेटी है। मुझे गर्व है कि उसने अपने जीवन का ऐसा निर्णय लिया। मैं चाहता हूं कि हर मां की कोख से ऐसी बेटी का जन्म हो, ताकि इस संसार का उद्धार हो जाए।” राखी के इस कदम को उन्होंने विधि का विधान बताते हुए इसे ईश्वर की इच्छा के रूप में स्वीकार किया।
11 साल की उम्र में राखी ने ली दीक्षा
राखी, जिन्होंने अब अपना नाम बदलकर गौरी रख लिया है, ने एक वीडियो चैनल को अपनी साध्वी बनने की यात्रा के बारे में खुलकर बताया। उन्होंने कहा, “मैंने 11 साल की उम्र में दीक्षा ली थी। मुझे दीक्षा लेने के लिए किसी ने नहीं बोला, यह मेरे भीतर से ही आया। हमारे गांव में एक बार भागवत हुई थी, तब से मैंने गुरु नाम का जाप करना शुरू किया। मुझे अब आचार्य बनना है।” गौरी ने यह भी साझा किया कि शादी की बात पर उन्हें हमेशा रोना आता था और उन्होंने घर में कहा था, “अगर शादी की बात हुई तो मैं कुआं या तालाब में कूदकर जान दे दूंगी।” इस साल होने वाले अपने सोलह संस्कारों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, “मैं खुशी-खुशी सबका पिंडदान करने के लिए तैयार हूं।”