ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र
दिनांक – 12 दिसम्बर 2024
दिन – गुरूवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत – 1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत ऋतु
मास – मार्गशीर्ष
पक्ष – शुक्ल
तिथि – द्वादशी रात्रि 08:20 तक, तत्पश्चात त्रयोदशी
नक्षत्र – अश्विनी सुबह 08:10 तक, तत्पश्चात भरणी
योग – परिघ दोपहर 02:30 तक, तत्पश्चात शिव
राहुकाल – दोपहर 01:30 से शाम 03:00 तक
सूर्योदय – 06:46
सूर्यास्त – 05:14
दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व विवरण – अखंड द्वादशी
विशेष: द्वादशी
आज, 12 दिसम्बर 2024 गुरुवार को मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी है। इस दिन भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्व है। वराहपुराण के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन पुष्पमाला, चन्दन आदि भगवान विष्णु को अर्पित करता है, उसे बारह वर्षों तक पूजा का फल प्राप्त होता है। विशेष रूप से, मार्गशीर्ष मास में चन्दन और कमल के पुष्पों का मिश्रण भगवान विष्णु को अर्पित करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
अग्निपुराण में उल्लेख है कि इस दिन श्रीकृष्ण का पूजन करने और लवण दान करने से व्यक्ति को सम्पूर्ण रसों के दान का फल मिलता है। महाभारत के अनुशासन पर्व में भी कहा गया है कि जो व्यक्ति द्वादशी को दिन-रात उपवासी रहते हुए ‘केशव’ का पूजन करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
स्कन्दपुराण के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूपों का स्नान कराना भी अत्यधिक पुण्यकारी है। विशेष रूप से, द्वादशी को श्री कृष्ण को शंख से दूध से स्नान कराना चाहिए।
प्रदोष व्रत
प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है, जो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस वर्ष प्रदोष व्रत 13 दिसम्बर, शुक्रवार को है। प्रदोष व्रत पर विशेष पूजा विधि और उपायों से भाग्य और समृद्धि में वृद्धि हो सकती है।
प्रदोष व्रत विधि:
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव, पार्वती और नंदी को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं।
- इसके बाद बेल पत्र, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची आदि भगवान शिव को अर्पित करें।
- दिन भर निराहार या फलाहार करें और शाम को पुनः भगवान शिव का पूजन करें।
- भगवान शिव को जौ के सत्तू, घी और शक्कर का भोग अर्पित करें। आठ दीपकों को आठ दिशाओं में जलाएं।
- भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद चढ़ाकर व्रत को समाप्त करें। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन भी करें।
उपाय:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्ध्य दें और पानी में आकड़े के फूल मिलाएं। आकड़े के फूल भगवान शिव को विशेष प्रिय हैं। इस उपाय से भगवान शिव और सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है और भाग्य उदय होता है।
मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी का व्रत महत्त्व
मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी पर व्रत, पूजा और दान से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह दिन विशेष रूप से पुण्य कमाने और जीवन में समृद्धि लाने के लिए उपयुक्त है।