सीएम से विधायक योगेश शुक्ला ने पीड़ित परिवार को मिलवाया, पुलिस पर कड़ी कार्रवाई की कही बात
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चिनहट कोतवाली के लॉकप में मोहित पांडेय की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में माेहित के शरीर पर चोटों के निशान भी मिले हैं। हालांकि बिसरा सुरक्षित किया गया है। हत्या करने के आरोप कोतवाली के पुलिसकर्मियों पर ही है। इस संबंध में चिनहट कोतवाली में ही इंस्पेक्टर अश्वनी चुतर्वेदी, आदेश व उसके चाचा समेत कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या, साक्ष्य छिपाने समेत कई संगीन धाराओं में रिपोर्द दर्ज की गई है। बीकेटी के विधायक योगेश शुक्ला ने पीड़ित परिवार को सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलवाया। योगी ने दोषियों पर कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी। फिलहाल इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि जब इंस्पेक्टर के खिलाफ हत्या की एफआइआर है तो उनकी अभी तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई, क्या कानून सबके लिए अलग-अलग है। संज्ञेय अपराध में तो तुरंत गिरफ्तारी का प्राविधान है, फिर इंस्पेक्टर पर अभी तक सब मेहरबान क्यों हैं। इंस्पेक्टर तो दूर की बात माेहित को पिटाई करवाने वाले आदेश और उसके चाचा भी मुकदमे में नामजद हैं, लेकिन उनकी भी अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। इस मामले में पीड़ित परिवारजन ने मंत्री आवास के पास सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन किया। माेहित की मां कहना है कि पुलिस वाले उसे घर से बुला ले गए और मार डाला। वहीं बहन का कहना है कि पुलिस और सीओ उन्हें जेल भेजने की धमकी दे रहे हैं। फिलहाल अभी तक हुई कार्रवाई से पीड़त परिवार संतुष्ट नहीं है।
पुलिस की जांच कर रही पुलिस, बोले हाई कोर्ट के अधिवक्ता अन्य एजेंसियों से होनी चाहिए जांच
पूरे मामले में दोषी इंस्पेक्टर व चिनहट पुलिस की जांच अब लखनऊ पुलिस ही कर रही है। इससे भी पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं है। इस मामले में हाई कोर्ट के अधिवक्ता मयंक मिश्रा का कहना है कि ऐसे गंभीर मामलों में पुलिस की जांच दूसरे एजेंसियों से करानी चाहिए। सीबीसीआइडी या एसआइटी बनाकर जांच करानी चाहिए। राज्य सरकार या डीजीपी के आदेश पर दूसरे एजेंसियों से जांच कराई जा सकती है।
थाने बने अत्याचार गृह
पूर्व सीएम अखिलेश यादव का कहना है कि यूपी के थाने अत्याचार गृह बन गए हैं। सरकार पुलिस से ही सरकार चलाना चाह रही है। अखिलेश का कहना है कि यूपी में पुलिस कस्टडी रिमांड बढ़ती जा रही है। इतना अत्याचार ठीक नहीं।
दस लाख रुपये दिए और सरकारी नौकरी व अन्य योजनाओं का आश्वासन
पीड़ित परिवार को दस लाख रुपये सरकारी मदद के तौर पर मिले हैं। इसके अतिरिक्त सरकारी नौकरी और अन्य योजनाओं का भी आश्वासन मिला है।