विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग एवं राष्ट्रीय सनातन एकता मंच के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने रखी बात
रांची,17 अक्टूबरः सनातन धर्म में सुहागिनों द्वारा रखे जाने वाला करवा चौथ का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। हर वर्ष करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखने का विधान है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए ख़ुशियाँ लेकर आता है। यह बातें विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग एवं राष्ट्रीय सनातन एकता मंच के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहीं। उन्होंने आगे कहा कि इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। वही कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत करती है यह व्रत निर्जला रखा जाता है। रात के समय चांद देखकर इस व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन महिलाएं चांद निकलने तक अन्न, जल का त्याग करती है उसके बाद शाम को छलनी से चांद देखकर और पति की आरती उतार कर अपना व्रत खोलती है। साथ ही मां पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा की जाती है। इस वर्ष कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि 19 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 17 मिनट पर आरंभ हो रहा है। और 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में करवा चौथ का व्रत रविवार 19 अक्टूबर को किया जाएगा। करवा चौथ का व्रत की परंपरा सदियों पुरानी है।