ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र
लखनऊ: घर- परिवार में रहने वाले लोगों ने खुशहाली के साथ जिंदगी जीने के लिए उत्तम सेहत और आवश्यकता को भरने के लिए धन- संपदा- संचय जरूरी होते है। अहम बात ये है कि, यह सब के लिए वास्तु नियम पालन करना भी एक मुख्य स्रोत, जिसको साकार बनाने के लिए प्राचीन ‘अलंकार शास्त्र’ तथा ‘मण्डन- शास्त्र’ से संगृहीत ‘सूत्र- पंचक’ को वास्तुविदों ने गुरुत्व देते हैं; यथा–
- आय तथा धन संचय वृद्धि के लिए घर का धनपेट्टी या ट्रेज़री में लक्ष्मी माँ की फ़ोटो/ प्रतिमूर्त्ति अथवा प्रतीक रूप में सोने या चांदी की एक मुद्रा/ मोहर रखिये I
- सुबह और शाम को घर का मुख्य दरवाजा खुले रहने दीजिए तथा घर में जंहा सूर्य किरण आने की सुविधा है, उस जगह को खुला छोड़ दीजिए। इस से वास्तु- प्रदूषण दूर होकर, घर में धन- सम्पदा- स्वास्थ्य- समृद्धि सम्भव होने की बहुधा मान्यता है।
- रोज शाम को घर के मुख्य दरवाजा का दोनों तरफ, पूजा स्थान तथा घर का जल- संरक्षण स्थान पर घी से दीपक जलाइए।।
- प्रातः स्नान के बाद गृह कर्त्ता/ कर्त्री हर रोज या हप्ते में एक बार मुख्य दरवाजा को सतेज फूल की माला से सज्जित करना शुभप्रद है। जंहा ऐसा करना सम्भव नहीं, वंहा घर का कोई भी सदस्य, प्रत्यह घर के प्रवेश द्वार के सामने ‘रंगोली’ बनाना उचित है।
- घर का ऐशान्य कोण (पूर्व- उत्तर दिशा) को सर्वथा साफ- सुतर रखना चाहिए। सम्भव है तो इस स्थान पर घर के ‘पूजा- मंडप’ या ‘देवस्थान’ भी बना सकते है।।
आईना स्थापन के लिए सही स्थान :
खुशहाली जिंदगी जीने के लिए धन- संपदा वृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य साधन की अहमियता तो है, फिर यह सब को अनुकूल बनाने के लिए घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करना भी एक गुरुत्वपूर्ण विंदु है। इसके साथ घर के अंदर जो सब आईना है, वह सब भी सही ढंग से वास्तु- नियम के आधार पर स्थापित होना चाहिए I
- शौचालय के सामने तथा अंदर में स्थित आईना में किसी बाहर कक्ष का कुछ भी अंदरूनी दृश्य प्रतिविम्बित होना नकारात्मक माना जाता है।।
- दीवाल पर पूर्व दिशा में स्थापित वाशवेशीन के ऊपर स्थित आईना, परिवार लोगों को बेवजह अशांति से मुक्त रखता है। परन्तु इस आईना (वेशीन के ऊपर), नीचे चट्टान से लगभग चार फीट से पांच फीट ऊँचाई में फिट होना ही शुभप्रद माना जाता है।
- घर में पूर्व/ उत्तर/ ईशान में छोटा या बड़ा आईना रहना तो शुभप्रद किन्तु नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए दीवाल पर अधिक नीचे या अधिक उचाई में नहीं रहना चाहिए।
- शयन कक्ष में आईना का स्थान ऐसे होना चाहिए, जैसे बेड का प्रतिविम्ब उस में न आने पाये।।