सिराज को चोट से बचाने के लिए उनके कार्यभार का प्रबंधन जरूरी है
दिल्ली,संवाददाता : इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला में मोहम्मद सिराज ने अपनी शानदार गेंदबाजी से सबको प्रभावित किया, लेकिन पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज आरपी सिंह ने सुझाव दिया कि सिराज के कार्यभार (वर्कलोड) पर ध्यान देना जरूरी है ताकि भविष्य में उन्हें चोट से बचाया जा सके। सिराज ने इस श्रृंखला में 185.3 ओवर फेंके और 23 विकेट हासिल किए, जिससे वह सबसे ज्यादा गेंदबाजी और विकेट लेने वाले गेंदबाज बने।
आरपी सिंह ने कहा, “सिराज को चोट से बचाने के लिए उनके कार्यभार का प्रबंधन जरूरी है। अगर तेज गेंदबाज लगातार कई मैच खेलते हैं, तो चोट का खतरा बढ़ जाता है। जिस तरह जसप्रीत बुमराह के वर्कलोड का ध्यान रखा गया, उसी तरह सिराज के लिए भी योजना बनानी होगी।” उन्होंने आगे कहा, “बुमराह ने उचित कार्यभार प्रबंधन के कारण वनडे और टी20 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन किया। सिराज भी उसी स्तर का गेंदबाज है। उनके वर्कलोड पर अब गंभीरता से विचार करना होगा, ताकि वह लंबे समय तक फिट रहें।” 14 टेस्ट समेत 82 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके आरपी सिंह ने सिराज की तारीफ करते हुए कहा कि इंग्लैंड दौरे पर उन्होंने जिम्मेदारी और जोश के साथ गेंदबाजी की।
‘जियो हॉटस्टार’ के क्रिकेट विशेषज्ञ के रूप में बात करते हुए आरपी सिंह ने कहा, “सिराज ने पांचों टेस्ट खेले और हर मैच में पूरे उत्साह के साथ गेंदबाजी की। आखिरी टेस्ट में उनकी अंतिम गेंद, जिस पर उन्होंने बल्लेबाज को बोल्ड किया, उनकी श्रृंखला की सबसे तेज गेंदों में से एक थी।” सिराज ने पांचवें टेस्ट में गस एटकिंसन को 143 किमी/घंटा की रफ्तार से यॉर्कर पर बोल्ड कर भारत को जीत दिलाई थी। आरपी सिंह ने कहा, “यह दिखाता है कि सिराज ने कभी मेहनत में कमी नहीं की। उन्होंने सटीक लाइन-लेंथ के साथ गेंदबाजी की और टीम के लिए अपेक्षा से अधिक योगदान दिया। उनकी फिटनेस और लय कमाल की थी।” सिराज अब तक बुमराह की छाया में रहे, लेकिन इस श्रृंखला ने उनकी अलग पहचान बनाई। आरपी सिंह ने बताया कि बुमराह की सफलता में सिराज का भी योगदान है।
उन्होंने कहा, “जैसे बल्लेबाजी में साझेदारी होती है, वैसे ही गेंदबाज भी जोड़ी में काम करते हैं। बुमराह अपने अनोखे एक्शन से बल्लेबाजों को परेशान करते हैं, जबकि सिराज अपने छोर से दबाव बनाते हैं। दोनों की जोड़ी शानदार है। जब बुमराह नहीं होते, तो सिराज मुख्य तेज गेंदबाज की भूमिका बखूबी निभाते हैं।” बुमराह के केवल तीन टेस्ट खेलने पर आरपी सिंह ने कहा, “यह पहले से तय था कि वह तीन मैच खेलेंगे। बुमराह की खासियत है कि वह हर मैच में विकेट निकालते हैं। कप्तान को उनसे हमेशा उम्मीद रहती है, इसलिए वह ज्यादा गेंदबाजी करते हैं।” कुलदीप यादव और अर्शदीप सिंह को इस दौरे पर एक भी टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिला। इस पर आरपी सिंह ने कहा, “दो-तीन टेस्ट में कुलदीप को मौका मिल सकता था, लेकिन टीम प्रबंधन ने मजबूत बल्लेबाजी क्रम को प्राथमिकता दी। हर खिलाड़ी प्लेइंग-11 में जगह चाहता है, लेकिन भारत ने पहले टेस्ट से ही बल्लेबाजी को मजबूत करने का फैसला किया था।”
उन्होंने कहा, “अगर गेंदबाजी पर जोर होता, तो कुलदीप खेलते। वाशिंगटन सुंदर ने स्पिनर की कमी को कुछ हद तक पूरा किया, लेकिन कुछ पिचों पर कुलदीप प्रभावी हो सकते थे। क्रिकेट में ऐसा होता रहता है, मौका आज नहीं तो कल मिलेगा।” आरपी सिंह ने कहा कि श्रृंखला शुरू होने से पहले किसी ने नहीं सोचा था कि भारत 2-2 से बराबरी करेगा। इसका श्रेय कप्तान शुभमन गिल को भी जाता है, जिन्होंने पांच टेस्ट में 754 रन बनाए। उन्होंने कहा, “गिल ने कप्तान के तौर पर और बल्लेबाज के रूप में शानदार प्रदर्शन किया। उनके सही फैसलों और व्यक्तिगत प्रदर्शन ने टीम को मजबूती दी।” श्रृंखला में चोटिल खिलाड़ियों को खेलते देख आरपी सिंह ने सुझाव दिया कि ऐसी स्थिति में वैकल्पिक खिलाड़ी मिलने चाहिए। उन्होंने कहा, “हर मैच में एक तटस्थ डॉक्टर या फिजियो होना चाहिए, जो चोट की गंभीरता का आकलन करे। अगर खिलाड़ी खेलने में असमर्थ है, तो टीम को उसी स्तर का वैकल्पिक खिलाड़ी मिलना चाहिए।”