राजनीतिक विवाद का विषय बना विधेयक, सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चल रही है तीखी बहस
दिल्ली,संवाददाता : देश के सत्तापक्ष (एनडीए) और विपक्षी दलों (इंडिया ब्लॉक) के बीच वक्फ संपत्तियों को लेकर तीखी तकरार देखने को मिली, खासकर लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक-2025 पर चर्चा के दौरान। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद के प्रशासनिक कार्यों को बेहतर बनाने और वक्फ संपत्तियों पर कुप्रबंधन को रोकने के लिए नए प्रावधान लागू करना है।
गृह मंत्री अमित शाह का बयान
गृह मंत्री अमित शाह ने साफ तौर पर कहा कि उनकी सरकार ने वक्फ संपत्तियों से छेड़छाड़ नहीं की है, बल्कि वक्फ बोर्ड और परिषद के कार्यों को प्रशासनिक रूप से व्यवस्थित करने के लिए संशोधन किया है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वे जातिवाद और तुष्टीकरण की राजनीति करते आए हैं, और उनका लक्ष्य केवल वोट बैंक की राजनीति करना है।
विधेयक में बदलाव
विधेयक में कुछ प्रमुख बदलाव किए गए हैं:
- वक्फ संपत्ति दान: पहले कोई भी धर्म का व्यक्ति वक्फ को संपत्ति दान कर सकता था, जबकि अब केवल प्रैक्टिसिंग मुसलमान ही अपनी संपत्ति वक्फ को दे सकते हैं।
- वक्फ बोर्ड का अधिकार: पहले वक्फ बोर्ड संपत्ति पर मनमाने ढंग से दावा कर सकता था, अब संशोधित विधेयक में इस प्रावधान को हटा दिया गया है।
- अतिक्रमण की कार्रवाई: वक्फ संपत्तियों पर 58,000 से अधिक अतिक्रमण के मामले चल रहे थे, अब केंद्रीयकृत डिजिटल पोर्टल के जरिए इन संपत्तियों का ट्रैक किया जाएगा।
- वित्तीय कुप्रबंधन: ऑडिटिंग और अकाउंटिंग उपायों से वक्फ संपत्तियों के वित्तीय कुप्रबंधन पर अंकुश लगाया जाएगा।
विधेयक से मिलने वाले लाभ
- सामाजिक और आर्थिक लाभ: विधेयक से स्कूलों और मदरसों का निर्माण, महिलाओं की भागीदारी, पारदर्शिता सुनिश्चित करने के साथ-साथ मुस्लिम लड़कियों के लिए छात्रवृत्तियां और महिला उद्यमियों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम शुरू होंगे।
- कानूनी सहायता केंद्र: विधवाओं के लिए पेंशन योजनाएं और उत्तराधिकार विवादों के लिए कानूनी सहायता केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
विपक्ष की आपत्ति
विपक्षी दलों ने इस विधेयक पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि सरकार का असली उद्देश्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना है और यह विधेयक संघ परिवार के एजेंडे का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक धर्म के आधार पर समाज में विभाजन उत्पन्न करेगा। समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने इस विधेयक को मुसलमानों के खिलाफ बताया और कहा कि इसे लाने की कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि करोड़ों लोग इसके खिलाफ हैं। डीएमके के सांसद ए राजाः ने भी इस विधेयक को संविधान के खिलाफ बताया और इसे इस्लामिक परंपराओं पर गंभीर हमला कहा।
सत्तापक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रिया
सत्तापक्ष ने विधेयक को मुसलमानों के लिए लाभकारी बताया, जबकि विपक्ष ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान के खिलाफ करार दिया। गृहमंत्री अमित शाह ने विश्वास दिलाया कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों को शामिल नहीं किया जाएगा, लेकिन इसके प्रशासनिक सुधारों के लिए यह जरूरी था। विपक्ष ने इसे धार्मिक राजनीति के रूप में पेश किया, जिसमें उनकी मान्यता थी कि यह मुसलमानों के खिलाफ एक कदम है।