भूसा खरीद टेंडर में गड़बड़ी कर सरकारी धन की बंदरबांट का है आरोप
रायबरेली,संवाददाता : पशुपालन विभाग में तैनात मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) डॉ. अनिल कुमार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उन पर गोशालाओं में संरक्षित गोवंशों की तस्करी और भूसा खरीद की टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी करने की शिकायत लोकायुक्त से की गई थी। लोकायुक्त ने इस प्रकरण की जांच शुरू कर दी है और इस संबंध में जिलाधिकारी से रिपोर्ट तलब की है। डीएम ने उप कृषि निदेशक की अगुवाई में तीन सदस्यीय टीम गठित की है। दिसंबर 2024 में लखनऊ के वृंदावन योजना के निकट रहने वाले डॉ. राघवेंद्र सिंह ने लोकायुक्त संगठन में शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि रायबरेली में कुल 80 गोशाला संचालित हैं, और प्रत्येक गोशाला में सीवीओ की ओर से गोवंशों की संख्या वास्तविक से अधिक दर्शाई जा रही है, जिससे गो तस्करी का संदेह उत्पन्न हो रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भूसा खरीद टेंडर में गड़बड़ी कर सरकारी धन की बंदरबांट की गई है। इसके अलावा सीवीओ पर अन्य गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं।
आरोपों का विवरण:
- 23 अप्रैल 2024 को छतोह ब्लॉक स्थित कुंवरमऊ गोशाला का निरीक्षण किया गया, जहां 180 गोवंश पाए गए, जबकि सीवीओ ने 218 गोवंशों की संख्या दिखाई थी, जिससे 38 गोवंश का अतिरिक्त पैसा निकाल लिया गया।
- 24 मार्च 2024 को राही गोशाला में 270 गोवंश थे, लेकिन 25 मार्च को केवल 207 गोवंश दिखाए गए, यह सवाल उठता है कि अचानक 63 गोवंश कैसे गायब हो गए।
विजिलेंस टीम की जांच भी जारी:
विजिलेंस टीम भी रायबरेली में भूसा खरीद टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी और गोशालाओं में गोवंशों की संख्या के घातक बदलाव की जांच कर रही है। शिकायतकर्ता ने सवाल उठाया है कि लोकायुक्त और विजिलेंस दोनों जांच कर रहे हैं, इसके बावजूद सीवीओ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही। उन्होंने डीएम को पत्र भेजकर कहा है कि यदि सीवीओ को नहीं हटाया गया तो वे दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर सकते हैं।
डीएम का बयान:
डीएम हर्षिता माथुर ने बताया कि लोकायुक्त द्वारा भेजी गई शिकायत पर रिपोर्ट मांगी गई है और इसके लिए एक टीम गठित की गई है। जल्द ही जांच रिपोर्ट लोकायुक्त को भेज दी जाएगी। अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो सीवीओ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सीवीओ का बचाव:
सीवीओ डॉ. अनिल कुमार ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उनका कहना है कि नसीराबाद पशु चिकित्सालय में तैनात महिला चिकित्सक इंदुबाला का नौ दिन का वेतन रोकने की वजह से महिला चिकित्सक के पति ने उनके खिलाफ झूठी शिकायत लोकायुक्त में की है। उनका कहना है कि लोकायुक्त की जांच में सत्य सामने आ जाएगा और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं।