पांच करोड़ का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट जारी करने का आरोप
लखनऊ,संवाददाता : राज्य सरकार ने लखनऊ विशेष अनुसंधान शाखा, राज्य कर विभाग में तैनात तीन वरिष्ठ अधिकारियों—अपर आयुक्त संजय कुमार मिश्र, संयुक्त आयुक्त सुशील कुमार सिंह और उपायुक्त धनश्याम मधेशिया—को पांच करोड़ रुपये का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) जारी करने के प्रकरण में सस्पेंड कर दिया है। इस संबंध में आदेश विशेष सचिव राज्य कर श्याम प्रकाश नारायण द्वारा जारी किया गया।
पूरा मामला आईटीसी क्लेम करने के लिए पांच ई-वे बिल बनवाने से जुड़ा है। आरोप है कि मामला संज्ञान में होने के बावजूद इन अधिकारियों ने न तो किसी प्रकार की पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराई और न ही ट्रांसपोर्टर, वाहन स्वामी या चालकों के खिलाफ अर्थदंड की कार्रवाई की।
जांच में पाया गया कि तलाशी के समय प्रयुक्त वाहनों के फैक्ट्री गेट में प्रवेश संबंधी सीसीटीवी फुटेज न तो व्यापारी से मांगा गया और न ही रिपोर्ट में इसका कोई उल्लेख किया गया। तलाशी के दौरान गेट रजिस्टर में दर्ज चारों वाहनों की प्रविष्टियों को न तो चेक किया गया और न ही जांच रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया, जबकि रजिस्टर अधिकारियों के कब्जे में था। रिपोर्ट में व्यापारी के इस कथन को शामिल किया गया कि चारों वाहनों का माल फैक्ट्री में पहुंचा था, जबकि अधिकारियों ने न तो व्यापारी से माल दिखाने को कहा और न ही गेट रजिस्टर से उसका मिलान कराया।
जांच में यह भी सामने आया कि व्यापारी को अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से भौतिक सत्यापन शीट पर कोई स्पष्ट मूल्यांकन आधार नहीं दिया गया। स्टॉक रजिस्टर उपलब्ध न होने के बावजूद 3 करोड़ 57 लाख 24 हजार रुपये का स्टॉक सही मान लिया गया और मात्र 44.87 लाख रुपये का अर्थदंड लगाया गया, जबकि नियमों के अनुसार माल की लागत के बराबर जुर्माना लगाया जाना आवश्यक था।
अर्थदंड जमा होते ही माल को छोड़ दिया गया और इसके बाद कपटपूर्ण तरीके से पांच करोड़ रुपये का आईटीसी ले लिया गया। इन गंभीर लापरवाहियों और अनियमितताओं के आधार पर सरकार ने तीनों अधिकारियों को निलंबित करने की कार्रवाई की है।























