डेढ़ साल से नहीं हो सका संचालन, स्टाफ की कमी और दरें तय न होना बना अड़चन
अयोध्या, संवाददाता : शहर की स्वास्थ्य सेवाओं में स्पष्ट असमानता नजर आ रही है। जिला महिला चिकित्सालय अपने प्राइवेट वार्डों से अच्छा-खासा राजस्व अर्जित कर रहा है, जबकि उसके बगल स्थित जिला पुरुष चिकित्सालय अब तक अपने प्राइवेट वार्डों का संचालन शुरू नहीं कर सका है।
पुरुष अस्पताल में पांच प्राइवेट वार्ड तैयार किए जा चुके हैं, लेकिन डेढ़ साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इन पर ताले लटके हैं। स्थिति यह है कि संचालन की कोई ठोस तारीख अब तक तय नहीं हो सकी है।
महिला चिकित्सालय के प्राइवेट वार्ड बने प्रसूताओं की पहली पसंद
दूसरी ओर, जिला महिला चिकित्सालय के प्राइवेट वार्ड प्रसूताओं की पहली पसंद बन चुके हैं। इनसे अस्पताल को हर महीने हजारों रुपये का राजस्व मिल रहा है।
सितंबर माह में अस्पताल को ₹76,006 की कमाई हुई, जबकि पुरुष अस्पताल की ओर से कोई आय नहीं हुई। महिला अस्पताल में सात कमरे प्राइवेट वार्ड के लिए आरक्षित हैं, जिनमें चार एसी और तीन नॉन-एसी कमरे हैं।
पुरुष अस्पताल में स्टाफ की कमी, चार्ज तय न होने से अटका संचालन
जिला पुरुष चिकित्सालय की स्थिति इससे बिल्कुल अलग है। यहां पांच प्राइवेट वार्ड पूरी तरह तैयार हैं — बेड, फर्नीचर और सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन संचालन शुरू नहीं हो पाया।
लगभग सवा साल से प्रस्ताव और बैठकें होती रहीं, मगर क्रियान्वयन ठप है।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय चौधरी ने बताया , “हमने शासन से दोबारा अनुमति मांगी है। फिलहाल हमारे यहां चार्ज तय नहीं हुए हैं और स्टाफ की कमी भी बनी हुई है। इसी कारण प्राइवेट वार्डों का संचालन शुरू नहीं हो सका।”






















