जहां कभी गूंजती थीं मासूमों की किलकारियां, वहां सिर्फ करुण क्रंदन सुनाई दे रहा है
बदायूं, कादरचौक: सूरज ढलने के बाद जब गांव की गलियों में बच्चों की हंसी और ठिठोली गूंज रही थी, तब अचानक एक तेज चीख ने पूरे गांव की शांति को चीर दिया। “बचाओ-बचाओ” की आवाजें गूंज उठीं और कुछ ही क्षणों में आग की लपटें आसमान छूने लगीं। अफरा-तफरी मच गई। घरों के साथ-साथ हरे-भरे पेड़ भी जलने लगे, लेकिन इस भयावह मंजर में हर कोई बेबस होकर देखता रहा।
यह घटना जिंसी नगला गांव के कादरचौक में हुई, जब अचानक गैस सिलेंडर में आग लग गई और पूरा छप्परनुमा घर धू-धूकर जलने लगा। सिलेंडर के फटने के बाद जोरदार धमाका हुआ और फिर तेज लपटों से आग ने विकराल रूप ले लिया। घर के अंदर मौजूद मासूम सुमित और दीपक घर से बाहर भागने के बजाय चारपाई के नीचे छिपकर रजाई ओढ़कर बैठ गए। लेकिन आग इतनी भयावह थी कि दोनों मासूम बच्चे जिंदा जल गए।
परिवार के लोग बताते हैं कि दीपक पांच दिन पहले अपनी नानी के घर आया था और अग्निकांड ने उसे वापस न जाने दिया। घर में घुसकर सुमित और दीपक को ढूंढने की कोशिशें की गईं, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गांव के लोग बताते हैं कि सिलेंडर धमाका और तेज लपटों ने सब कुछ नष्ट कर दिया, धुएं के गुबार में सबकी आंखें चौंधियाती रही और सांसें रुकने लगीं। गांववालों ने बताया कि आग लगने के बाद फायर ब्रिगेड को फोन किया, लेकिन गांव की दूरी ज्यादा होने के कारण दमकल गाड़ी समय पर नहीं पहुंच पाई। डेढ़ घंटे बाद दमकल पहुंची, लेकिन तब तक लपटें भयानक रूप ले चुकी थीं। लोग केवल देख सकते थे, लेकिन कर नहीं सकते थे। अगर दमकल गाड़ी समय पर पहुंच जाती, तो शायद यह तबाही इतनी भयावह न होती। अब जहां कभी मासूमों की किलकारियां गूंजती थीं, वहां सिर्फ करुण क्रंदन सुनाई दे रहा है। इस दुर्घटना ने पूरे गांव को झकझोर दिया है और मासूमों की जिंदगियां एक क्षण में खत्म हो गईं।