समय पर इलाज न मिलने से बढ़ रही भर्ती की संख्या
लखनऊ, संवाददाता : शहर में ठंड बढ़ने के साथ ही बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर इसका असर दिखने लगा है। सरकारी अस्पतालों में निमोनिया समेत संक्रमण से ग्रसित बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कई बच्चों को गंभीर हालत में अस्पताल लाया जा रहा है। चिकित्सक परिजनों को सतर्क रहने और बच्चों की विशेष देखभाल करने की सलाह दे रहे हैं।
सांस की बीमारी से पीड़ित बच्चे
रानी अवंतीबाई महिला अस्पताल (डफरिन) के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान ने बताया कि मौजूदा ठंड बच्चों और बुजुर्गों के लिए अधिक नुकसानदायक साबित हो रही है। बच्चों की ओपीडी में इस समय 70 से 80 फीसदी बच्चे सांस की बीमारी से संबंधित आ रहे हैं, जिनमें 10 से 15 फीसदी निमोनिया से ग्रसित हैं। डॉ. सलमान ने बताया कि खांसी-जुकाम होते ही बच्चों को तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए। अपनी मर्जी से दवा देना बच्चों की सेहत के लिए घातक हो सकता है।
ब्लोअर चलाते समय रखें नमी का ध्यान
डॉ. सलमान ने बताया कि ठंड से बचाव के लिए लोग कमरे में ब्लोअर लगा लेते हैं, जिससे कमरे की नमी कम हो जाती है। ऐसे में कमरे में एक बर्तन में पानी भरकर रखना जरूरी है। साथ ही बच्चों को गर्म कमरे से अचानक ठंडी जगह ले जाने से बचें, क्योंकि तापमान में बदलाव से बच्चा बीमार हो सकता है।
निमोनिया के प्रमुख लक्षण
- सामान्य से अधिक तेज सांस चलना या सांस लेने में परेशानी
- सांस लेते या खांसते समय छाती में दर्द
- पसली चलना
- खांसी के साथ पीले, हरे या जंग के रंग का बलगम
- बुखार, कंपकंपी या ठंड लगना
- पसीना आना
- होंठ या नाखून नीले पड़ना
- उल्टी, पेट या सीने के निचले हिस्से में दर्द
- मांसपेशियों में दर्द
संक्रमित व्यक्ति से दूर रखें बच्चे
बीआरडी अस्पताल के डॉ. मनीष शुक्ला ने बताया कि निमोनिया पीड़ित बच्चों को तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए। छोटे बच्चों को संक्रमित व्यक्ति से दूर रखना जरूरी है। नवजात को मां का पहला गाढ़ा दूध जरूर पिलाएं और छह माह तक केवल स्तनपान कराएं, क्योंकि यह बच्चों को कई बीमारियों से बचाता है।
लोहिया में 50 फीसदी बच्चों में निमोनिया की समस्या
लोहिया संस्थान के पीडियाट्रिक विभाग के डॉ. शशांक सिंह ने बताया कि इस समय ओपीडी में रोजाना 40–50 फीसदी बच्चे निमोनिया से पीड़ित मिल रहे हैं। रोजाना 4–5 बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है, जबकि कई बार यह संख्या 8–10 तक पहुंच जाती है। इलाज में लापरवाही के कारण खांसी-जुकाम और बुखार की समस्या निमोनिया में बदल रही है।
बच्चों की सेहत के लिए रखें ये सावधानियां
- बच्चों को नंगे पैर न घूमने दें
- ठंडी हवा और प्रदूषण से बचाव करें
- गर्म कपड़े पहनाकर रखें
- सर्दी-जुकाम होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
- तीन दिन से अधिक खांसी-जुकाम हो तो जांच कराएं
- ठंडे खाद्य पदार्थ न दें
- अस्थमा होने पर नेबुलाइजर साथ रखें
- अपनी मर्जी से दवा न दें
- नेबुलाइजर चिकित्सक की सलाह से ही कराएं
- छह माह तक केवल मां का दूध पिलाएं
- बिना विशेषज्ञ की सलाह एंटीबायोटिक न दें
























