वैध कब्जा, बवाल से जोड़ना गलत, नगर निगम जुटा दस्तावेज़ खंगालने में
बरेली,संवाददाता : बरेली के नावेल्टी चौराहे पर 26 सितंबर को हुए बवाल के बाद नगर निगम द्वारा सील की गई 74 दुकानों में से 22 दुकानदारों ने अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन दुकानदारों का कहना है कि उनकी दुकानें वैध हैं और उन्हें बवाल से जोड़कर कार्रवाई करना अनुचित है। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से दुकानों को संरक्षित रखने की अपील की है।
नवेल्टी चौराहा शहर के व्यस्ततम व्यापारिक क्षेत्रों में गिना जाता है। इसी स्थान पर ‘पहलवान साहब की मजार’ स्थित है, जिसके चारों ओर ये दुकानें बनी हुई हैं। नगर निगम का दावा है कि ये दुकानें सड़क और सरकारी ज़मीन पर बनी हैं, और इन्हें अवैध माना गया है। उधर, दूसरा पक्ष इस जमीन को उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताता आया है। इस कारण मालिकाना हक को लेकर विवाद पहले से ही वक्फ ट्रिब्यूनल और अदालतों में लंबित है।
नफीस अहमद पर अप्रत्यक्ष कब्जे का आरोप
सूत्रों के मुताबिक, इन 74 दुकानों पर मौलाना तौकीर रजा खान के करीबी माने जाने वाले नफीस अहमद का अप्रत्यक्ष कब्जा रहा है। वही किराया वसूली का काम करते थे। 26 सितंबर के बवाल के बाद नफीस अहमद सहित 91 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। नगरायुक्त संजीव कुमार मौर्य ने कहा कि नगर निगम अदालत में पूरी तैयारी के साथ अपना पक्ष रखेगा। निगम के अनुसार, जमीन सरकारी है और दुकानें अवैध रूप से बनी हैं। वहीं दुकानदारों का कहना है कि वर्षों से टैक्स देने के बाद भी उन्हें बवाल से जोड़ना सरासर गलत है।
200 करोड़ से अधिक की संपत्तियां सील
नगर निगम और बरेली विकास प्राधिकरण की संयुक्त कार्यवाही में अब तक 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की अवैध संपत्तियां सील की जा चुकी हैं। जिन लोगों पर बवाल में शामिल होने का आरोप है, उनके भवन, होटल और प्रतिष्ठानों को भी जांच के घेरे में लाया गया है। हाईकोर्ट का निर्णय तय करेगा कि क्या नावेल्टी चौराहे की दुकानों को फिर से खोला जाएगा या कार्रवाई आगे बढ़ेगी।