सर्वे से हक़ीक़त आई सामने, चौराहों और मंदिरों के पास से 90 हज़ार रुपए महीने कमाता है प्रत्येक भिखारी, स्मार्ट फोन भी हैं चलाते
लखनऊः जिन भिखारियों को आप दीन-हीन समझकर चंद पैसे उनके कटोरे में डालकर खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं वो आपसे भी कई गुना रहीस निकले। नौकरीपेशा लोग तो इनकी कमाई सुनकर बगले झांकते नजर आएँगे। जी हाँ चौराहों और मंदिरों के पास से प्रत्येक भिखारी एक महीने में 90 हज़ार तक आसानी से कमा लेते हैं। यानी साल के 12 महीने में 11 लाख का पैकेज। इतना इंजीनियरिंग और एमबीए की महँगी पढ़ाई करने के बाद भी अधिकांश लोग नहीं कमा पाते। इसके लिए नौकरीपेशा लोगों को दिनरात कड़ी मशक़्क़त करनी पड़ती है, लेकिन भिखारियों को तो यह भी नहीं करना पड़ता। ज़िला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) और समाज कल्याण विभाग की ओर से किए गए सर्वे में यह हक़ीक़त सामने आई। लखनऊ में भिखारियों के पास से स्मार्टफ़ोन और पैनकार्ड भी बरामद हुए हैं। ऐसे 5, 312 भिखारियों को पकड़कर इनको विभिन्न योजनाओं से जोड़ने की तैयारी है।
भिखारियों के ख़िलाफ़ चल रहा है अभियानः प्रदेश की राजधानी में भिखारियों के ख़िलाफ 19 अक्तूबर से लगातार अभियान चल रहा है, अभियान का प्रत्येक 15 दिन पर ज़िला प्रशासन समीक्षा करेगा। भिक्षावृत्ति में संलिप्त बच्चों और परिवारों को मुक्ति दिलाने के लिए पुलिस, नगर निगम, समाज कल्याण, ज़िला प्रशासन समेत कई विभागों की टीमें लगी हैं।