बागेश्वर धाम के बाबा आचार्य धीरेंद्र शास्त्री अपने हिंदू राष्ट्र के एजेंडे के साथ पहुंचे बिहार
पटना,संवाददाता : बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इसी बीच राज्य में हिंदू धर्मगुरुओं के एक के बाद एक दौरों ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं, और हिंदू वोटरों को एकजुट करने की कोशिशें जोरों-शोरों से चल रही हैं। हिंदुत्व के तीन बड़े चेहरे, बागेश्वर बाबा आचार्य धीरेंद्र शास्त्री, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और श्री श्री पंडित रविशंकर बिहार में सक्रिय हो गए हैं। इन धर्मगुरुओं के दौरे को सियासी हलकों में गर्मजोशी से देखा जा रहा है। विपक्षी महागठबंधन के नेताओं ने इन नेताओं के बिहार दौरे को राजनीति से प्रेरित बताया है।
बागेश्वर धाम के बाबा आचार्य धीरेंद्र शास्त्री अपने हिंदू राष्ट्र के एजेंडे के साथ बिहार पहुंचे हैं। उनका कहना है कि “देश रघुवर का है बाबर का नहीं। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाएंगे। हिंदुओं को एक करेंगे।” बाबा बागेश्वर का यह बयान हिंदू राष्ट्र की आवाज को बिहार से बुलंद करने के रूप में देखा जा रहा है। गोपालगंज, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का गढ़ माना जाता है, में बाबा बागेश्वर ने हनुमंत कथा और दिव्य दरबार का आयोजन किया है। उनकी सभा में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। बिहार की राजधानी पटना में आध्यात्मिक गुरु रविशंकर का भव्य सत्संग चल रहा है। इस दो दिन के सत्संग में ध्यान, योग और जीवन जीने की कला पर विशेष प्रवचन का आयोजन किया गया। शुक्रवार को शुरू हुआ यह सत्संग सात मार्च को समाप्त होगा। श्री श्री रविशंकर ने 1000 साल पुराने पवित्र शिवलिंग के दर्शन किए, जिसे महमूद गजनवी ने 1026 ईस्वी में खंडित किया था। गुरुवार शाम को रविशंकर ने बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी से मुलाकात की।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी पांच दिनों के बिहार दौरे पर हैं। वे कई राज्यों में संघ के कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। 7 मार्च को उन्होंने आरडीएस कॉलेज मैदान में शाखा लगाई और संघ कार्यालय में संघ के सदस्यों से मुलाकात की। राजनीति विशेषज्ञों का मानना है कि मोहन भागवत का यह दौरा बीजेपी के वोट बेस को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है। बिहार में हिंदू धर्मगुरुओं का यह सियासी सक्रियता अगले विधानसभा चुनावों के लिए सियासी माहौल को प्रभावित कर सकती है। भाजपा और संघ के साथ इन धर्मगुरुओं की सक्रियता ने राज्य में हिंदू वोटों को एकजुट करने के प्रयासों को और तेज कर दिया है।