शाह की बिहार चुनाव की रणनीति ‘पंचतंत्र’ के रूप चर्चित
बिहार, संवाददाता : बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली नई सरकार ने पटना के गांधी मैदान में शपथ ले ली है। दिलचस्प है कि एनडीए सरकार की वापसी का राजनीतिक खाका मुख्य रूप से दिल्ली के दो प्रतीकात्मक स्थलों—नॉर्थ ब्लॉक और 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग—पर तैयार हुआ। एक वह जगह जिसे डिजाइन किया था नई दिल्ली के जाने-माने आर्किटेक्ट हरबर्ट बेकर ने, और दूसरी वह जहां आज गृह मंत्री अमित शाह रहते हैं।
चुनाव घोषणा के तुरंत बाद से ही एनडीए की रणनीति गृह मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक कार्यालय और लुटियंस दिल्ली के 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगले में अमित शाह की देखरेख में आकार लेने लगी। नॉर्थ ब्लॉक को एडविन लुटियंस के करीबी सहयोगी हरबर्ट बेकर ने डिजाइन किया था, जो 1925 से 1930 तक 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग पर ही रहते थे। आज यही आवास अमित शाह का सरकारी निवास है। यही वह जगह है जहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए थे। लाल बलुआ पत्थर से बना नॉर्थ ब्लॉक 1927 में पूरा हुआ था और आज़ादी तक ब्रिटिश प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों का केंद्र रहा। अब यही इमारत भारत के गृह मंत्रालय का मुख्यालय है।
पंचतंत्र’ के रूप में चर्चित
अमित शाह की बिहार चुनाव की रणनीति ‘पंचतंत्र’ के रूप में चर्चित हुई। पहला, जातीय समीकरणों का सूक्ष्म विश्लेषण: हर सीट पर जाति आधारित उम्मीदवार चयन, जिसमें गठबंधन की सीटों पर भी भाजपा की सलाह मान्य हुई। दूसरा, अमित शाह ने चुनाव से पहले ही एनडीए की बड़ी विजय की भविष्यवाणी की, जो सटीक साबित हुई और कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा। तीसरा, घुसपैठियों और जंगलराज के मुद्दे को उछालना, जिससे हिंदू वोट एकजुट हुआ। चौथा, महिला कल्याण योजनाओं (जैसे नकद हस्तांतरण) को हाइलाइट कर महिलाओं को वोट बैंक बनाना।
ऊपर परिंदों का कोलाहल, नीचे क्या
अमित शाह के 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग के बंगले में एक फव्वारा भी है। अहाते में लगे बुजुर्ग पेड़ों में रहने वाले परिंदों की अखंड चहचहाहट सुबह-शाम जारी रहती है। इनमें अनगिनत तोते हैं। ये पेड़ गवाह हैं ना जाने कितनी अहम हस्तियों के। अमित शाह सुबह यहां बैठकर अखबार पढ़ते हैं। उन्होंने बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान 19 दिन बिताए, कार्यकर्ताओं से सीधी मुलाकात की और गठबंधन सहयोगियों (जदयू, लोजपा-रामविलास) के बीच मतभेद दूर किए। चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच तनाव को शाह ने ही सुलझाया। परिणामस्वरूप, भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी, जद(यू) ने बेहतरीन स्ट्राइक रेट हासिल किया। शाह की संगठनात्मक कुशलता ने एंटी-इनकंबेंसी को भी हराया। उन्होंने भाजपा के असंतुष्ट नेताओं को भी कसकर रखा।
























