प्रदेश में जिला और शहर इकाइयों के 70 से अधिक अध्यक्ष नियुक्त हो चुके हैं
लखनऊ,संवाददाता : राजनीतिक रूप से सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा बहुत जल्द अपना नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने वाली है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह घोषणा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिल्ली दौरे से लौटने के तुरंत बाद हो सकती है। आने वाले विधानसभा चुनाव (फरवरी 2027) की दृष्टि से यह निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
संगठन चुनाव रुका, अब निर्णायक मोड़ पर
हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में चले ऑपरेशन सिंदूर के कारण भाजपा का संगठनात्मक चुनाव टाल दिया गया था। अब जबकि प्रदेश में ज़िला और शहर इकाइयों के 70 से अधिक अध्यक्ष नियुक्त हो चुके हैं, भाजपा के संविधान के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा का रास्ता साफ हो गया है।
कौन होगा अध्यक्ष दलित या ओबीसी चेहरा
सूत्रों के अनुसार, भाजपा और संघ दोनों के भीतर यह मंथन चल रहा है कि नया अध्यक्ष दलित समुदाय से हो या ओबीसी से। दलित चेहरा सामने लाकर भाजपा सपा, बसपा और कांग्रेस को सीधा जवाब देना चाहती है। इस कड़ी में असीम अरुण, जो पूर्व IPS अधिकारी रह चुके हैं और वर्तमान में समाज कल्याण मंत्री हैं, सबसे आगे माने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों के करीबी माने जाने वाले असीम अरुण की लोकप्रियता दलित युवाओं के बीच बहुत तेज़ी से बढ़ी है।
“सपा प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ उनके हालिया तेवरों ने उन्हें भाजपा में एक मजबूत दलित प्रतीक बना दिया है।”
जातीय समीकरण और संभावित चेहरे
भाजपा के पास सहयोगी दलों के जरिए ओबीसी वर्ग का अच्छा-खासा समर्थन है:
- अपना दल (एस) – कुर्मी वोट बैंक
- सुभासपा – राजभर, मौर्य, कुशवाहा
- निषाद पार्टी – निषाद समुदाय
- रालोद – जाट समाज
इसलिए भाजपा के भीतर यह तर्क भी दिया जा रहा है कि दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व देकर संतुलन साधा जाए।
अन्य संभावित नामों में शामिल हैं: स्वतंत्र देव सिंह, धर्मपाल सिंह, बीएल वर्मा, बाबूराम निषाद, रामशंकर कठेरिया, विनोद सोनकर, नीलम सोनकर, विद्यासागर सोनकर, दिनेश शर्मा, और हरीश द्विवेदी।