150 से अधिक रथों पर निकलेंगी संतों की सवारियां
प्रयागराज,संवाददाता : प्रयागराज जिसे संगम नगरी भी कहा जाता है, में देश के सबसे बड़े दशनामी परंपरा के सन्यासियों के अखाड़े, जूना अखाड़े की पेशवाई (छावनी प्रवेश) में हिस्सा लेने के लिए देश-विदेश से दस हजार से अधिक नागा संन्यासी पहुंचे हैं। आज, 14 दिसंबर को अस्त्र-शस्त्र और बैंड बाजे से सुसज्जित रथों पर जूना अखाड़े के संतों की सवारियां निकलेंगी। यह आयोजन विशेष रूप से भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए एक ऐतिहासिक अवसर होगा। इस विशाल छावनी प्रवेश में आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद समेत 65 से अधिक महामंडलेश्वर भी शामिल हो चुके हैं। रथों, बग्घियों और घोड़ों को विशेष रूप से सजाया गया है, साथ ही सोने-चांदी के हौदे और सिंहासन भी तैयार किए गए हैं। इसके अलावा गुरु दत्तात्रेय की चरण पादुका भी रथारूढ़ रहेगी।
जूना अखाड़े के प्रवक्ता श्री महंत नारायण गिरि ने बताया कि इस छावनी प्रवेश में दस हजार से अधिक नागा संन्यासी, संन्यासिनियां और महिला महामंडलेश्वर रथों पर सवार होकर भाग लेंगे। 150 से अधिक रथों पर संतों की सवारियां निकलेंगी। जूना अखाड़े के संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि ने इस आयोजन की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। इस खास आयोजन में नागा संन्यासी अपनी पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र के साथ शामिल होंगे। इस छावनी प्रवेश में किन्नर संत भी बड़ी संख्या में हिस्सा लेंगे। आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, जगद्गुरु पीठाधीश्वर महंत और अन्य धार्मिक पदाधिकारी भी इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनने के लिए प्रयागराज पहुंच गए हैं। छावनी प्रवेश में शामिल होने के लिए कई प्रमुख धार्मिक हस्तियां जैसे जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, जूना अखाड़े के अध्यक्ष महंत प्रेम गिरी, गर्गाचार्य मुचकुंद पीठाधीश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि और जगद्गुरु स्वामी भुवनेश्वरी गिरि भी मौजूद रहेंगे।