यह योजना मार्च 2026 तक पूर्ण की जानी है, पर अभी तक केवल 40 प्रतिशत ही प्रगति हो सकी है
लखनऊ,संवाददाता : राज्य के 35 जिलों में वर्ष 2022 से शुरू की गई जल संचयन की डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 योजना अब तकनीकी खामी के चलते संकट में फंस गई है। लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत वाली यह योजना धरातल पर उतर नहीं पा रही है क्योंकि स्पर्श पोर्टल में तकनीकी समस्याओं के कारण 52 परियोजनाओं का भुगतान रुका हुआ है। इसके साथ ही विभाग के पास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए तकनीकी अधिकारियों की भी भारी कमी है। जबकि यह योजना मार्च 2026 तक पूर्ण की जानी है, पर अभी तक केवल 40 प्रतिशत ही प्रगति हो सकी है।
योजना को लेकर आरंभ से रही दिक्कतें
यह योजना दरअसल परती भूमि विकास के लिए शुरू की गई थी, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते इसे कृषि विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया। भूमि संरक्षण विभाग इसके तहत कार्य करवा रहा है। शुरुआत में गाइडलाइन स्पष्ट न होने से निर्माण कार्यों में देरी हुई। बाद में जो कार्य हुए, वे तकनीकी खामी और विभागीय ऑडिट की प्रक्रिया में फंस गए।
पांचवीं किस्त भी खर्च नहीं हो सकी
वर्ष 2024 के अंत में योजना की पांचवीं किस्त मिली, लेकिन खर्च नहीं हो सकी। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 20 मई को मिले 46.50 करोड़ रुपये से कुछ कार्य कराए गए और भुगतान के लिए बिल-बाउचर लगाए गए, लेकिन पोर्टल में तकनीकी खामी के चलते भुगतान अटका हुआ है।
मानसून से पहले नहीं हो सके ज़रूरी कार्य
योजना के तहत वर्षा से पहले जिन कार्यों को पूर्ण करना था, वे अधूरे रह गए। इनमें तालाबों की मरम्मत, चेकडैम, कैटल घाट, छठ पूजन घाट, चबूतरा, सीढ़ी निर्माण, रूफटॉप जल संचयन, हैंडपंप, सोखपिट, सिंचाई सहायता, भूमि समतलीकरण और कटाव रोकने जैसे ज़रूरी कार्य शामिल थे।
इन जिलों में फंसी हैं परियोजनाएं
लखनऊ, बरेली, कानपुर नगर, आजमगढ़, जौनपुर, कन्नौज, रामपुर, बदायूं, बिजनौर, संभल, मुरादाबाद, बुलंदशहर, अमरोहा, हापुड़, कुशीनगर, देवरिया, महोबा, हमीरपुर, एटा, मथुरा, इटावा, मैनपुरी, चित्रकूट, रायबरेली, अमेठी, वाराणसी, सोनभद्र, मीरजापुर, प्रयागराज, फतेहपुर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, सहारनपुर व बागपत ज़िलों में कुल 52 परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं।