मुख्यमंत्री योगी ने कृषि वैज्ञानिकों को किया सम्मानित, विशेषज्ञों ने प्रस्तुत किए कृषि विकास के मॉडल

लखनऊ,संवाददाता : उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (UPCAR) द्वारा मंगलवार को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में अपनी 36वीं वर्षगांठ ‘कृषि वैज्ञानिक अभिनंदन समारोह’ एवं ‘राष्ट्रीय संगोष्ठी – प्रगतिशील कृषि, उन्नत उत्तर प्रदेश @2047’ के रूप में उत्साहपूर्वक मनाई गई।
उद्घाटन में दिखा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सरकार की प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ किया। इस अवसर पर उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि “राज्य को कृषि के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए तकनीक, प्रशिक्षण और ट्रांसफर ऑफ नॉलेज की त्रिवेणी आवश्यक है।”
कृषि मंत्री का संबोधन: नवाचार आधारित कृषि नीति की आवश्यकता
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में राज्य के कृषकों को तकनीकी सशक्तता देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि “सतत कृषि के लिए हमें नई सोच और स्थायी संसाधनों की ओर बढ़ना होगा।”
कृषि वैज्ञानिकों को मिला सम्मान

कार्यक्रम के दौरान ‘उपकार’ और ‘उपास’ सम्मान से उन कृषि वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को सम्मानित किया गया, जिन्होंने नवाचार और अनुसंधान के माध्यम से राज्य की कृषि प्रणाली को नई दिशा दी।
तकनीकी सत्र में उठे कृषि के विविध पहलू
कार्यक्रम के दूसरे चरण में आयोजित तकनीकी सत्रों में देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों और संस्थानों से आए विशेषज्ञों ने व्याख्यान प्रस्तुत किए।
बुंदेलखंड की कृषि संभावनाएं: डॉ. ए.के. सिंह ने सूखा प्रभावित क्षेत्र में उन्नत कृषि मॉडल की आवश्यकता जताई।
प्राकृतिक खेती की दिशा में कदम: डॉ. डी.के. सिंह ने जैविक और देसी पद्धतियों से खेती के फायदों को रेखांकित किया।
बागवानी का बहुआयामी लाभ: डॉ. पी.एल. सरोज ने बागवानी को पोषण, आय और स्वास्थ्य का आधार बताया।
एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS): डॉ. राजीव कुमार ने फसल, मछली, पशुधन और उद्यानिकी के संयोजन को बताया कारगर।
पशुपालन का कृषि में योगदान: डॉ. शुशांत श्रीवास्तव ने कृषि-आधारित पशुधन के आर्थिक पक्ष को उजागर किया।
राज्य की कृषि दशा और दिशा: डॉ. एच.एन. सिंह ने वर्तमान परिदृश्य के विश्लेषण के साथ भविष्य की संभावनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की।
एफपीओ की भूमिका: श्री पी.एस. ओझा ने कृषक उत्पादक संगठनों को ग्रामीण आर्थिक ढांचे की रीढ़ बताया।
कार्यक्रम का समापन और संदेश
कार्यक्रम का समापन डॉ. परमेंद्र सिंह के आभार ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने इसे वैज्ञानिकों और किसानों के बीच संवाद की नई शुरुआत बताया। यह आयोजन राज्य के कृषकों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को एक साझा मंच प्रदान कर कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर, तकनीकी और आर्थिक दृष्टि से मजबूत बनाने की दिशा में एक प्रभावशाली और प्रेरणादायक पहल बन गया।