राज्य की जेलें अब साबरमती, सूरत और पुदुचेरी जैसी केंद्रीय जेलों की तर्ज पर होंगी विकसित
लखनऊ,संवाददाता : उत्तर प्रदेश की जेल व्यवस्थाएं अब देश की प्रमुख केंद्रीय जेलों — जैसे साबरमती, बड़ौदा, राजकोट, सूरत और पुदुचेरी — के समकक्ष विकसित होने की दिशा में अग्रसर हो रही हैं। जेल प्रशासन में बदलाव की यह प्रक्रिया अपराधियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने पर केंद्रित है। निकट भविष्य में जेलों के अंदरूनी माहौल में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, जिससे इन्हें और अधिक मानवीय, सुरक्षित एवं सुधारात्मक बनाया जा सके।
इसी उद्देश्य से गुरुवार को राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) और उत्तर प्रदेश की जेल प्रशासन और सुधार सेवाओं के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया गया। यह सहयोग तीन वर्षों तक प्रभावी रहेगा और राज्य की जेल प्रणाली को बेहतर बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।
शैक्षणिक, मानसिक और कौशल विकास पर होगा ज़ोर
समझौते के अंतर्गत राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय न केवल संयुक्त अनुसंधान पहलों में भागीदार बनेगा, बल्कि विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से जेल स्टाफ और कैदियों दोनों के लिए सहायक सिद्ध होगा।
विश्वविद्यालय की निदेशक मंजरी चंद्रा ने कहा,
“यह समझौता हमारे राज्य संस्थानों के साथ मिलकर स्थायी परिवर्तन लाने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। शैक्षणिक संस्थानों को सामाजिक विकास में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए और यह सहयोग उसी दिशा में एक उदाहरण है।”
“सुधार की दिशा में ठोस कदम”: डॉ. कल्पेश वंद्रा
राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस चांसलर प्रोफेसर (डॉ.) कल्पेश एच. वंद्रा ने कहा,
“सुधारात्मक प्रणाली केवल दंड का नाम नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना होना चाहिए। इस साझेदारी के माध्यम से हम शैक्षणिक अनुसंधान, कौशल-आधारित प्रशिक्षण और मानसिक कल्याण को सुधार प्रणाली के मूल में लाएंगे।”
जेलों का भविष्य होगा अधिक मानवीय
उत्तर प्रदेश के डीजी जेल पी.वी. रामशास्त्री ने इसे एक दूरदर्शी पहल बताया। उन्होंने कहा,
“हम जेल प्रणाली को अधिक मानवीय, सुरक्षित और सुधारात्मक बनाना चाहते हैं। राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के सहयोग से सुधारात्मक सेवाओं में पेशेवरता, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और नवाचार आएगा, जिससे हम भारत में जेलों के भविष्य की एक नई परिकल्पना कर सकेंगे।”