बिना पात्रता की जांच के विद्यालयों पर तत्काल प्रवेश देने का बनाया गया दबाव
लखनऊ,संवाददाता : निजी विद्यालयों के प्रबंधकों ने आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 की धारा 12(1)(ग) के अंतर्गत अपात्र बच्चों को जबरन प्रवेश दिलाने का दबाव बना रहे हैं। संघ के अध्यक्ष अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि बीते कुछ महीनों में लखनऊ के कई निजी विद्यालयों को ऐसे मामलों का सामना करना पड़ा है, जहाँ मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज होते ही बिना पात्रता की जांच के विद्यालयों पर तत्काल प्रवेश देने का दबाव बनाया गया।
प्रक्रिया के खिलाफ कार्रवाई पर आपत्ति
अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि स्कूल पहले ही उत्तर प्रदेश आरटीई नियमावली 2011 के नियम 8(1) के अंतर्गत अपनी आपत्तियाँ पात्रता को लेकर प्रस्तुत कर चुके होते हैं, बावजूद इसके अधिकारी शिकायत के निस्तारण से पहले ही प्रवेश देने का निर्देश देते हैं। यह प्रक्रिया न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि इससे विद्यालयों की स्वायत्तता और पारदर्शिता पर भी सवाल उठता है।
दस्तावेजों की जांच के बिना आवंटन
संघ के अनुसार, अधिकारी अन्य अपात्र बच्चों का भी मनमाने ढंग से आवंटन कर रहे हैं, बिना किसी दस्तावेजी जांच या पृष्ठभूमि सत्यापन के। इससे प्रशासनिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर प्रश्न उठ रहे हैं।
बढ़ती शिकायतों के बीच स्कूलों की चिंता बढ़ी
तेजी से बढ़ती जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायतों और त्वरित प्रशासनिक दबाव के कारण स्कूलों में अनिश्चितता और प्रशासनिक अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो रही है। संघ ने जल्द समाधान की अपेक्षा जताई है।