बड़ी संख्या में होटल बिना नक्शा पास कराए, संकरी गलियों,आवासीय इलाकों में चल रहे हैं
लखनऊ, रविवार: चारबाग स्थित मोहन होटल में शनिवार देर रात लगी आग ने एक बार फिर लखनऊ शहर में भवन सुरक्षा और प्रशासनिक सजगता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आग पर दमकल कर्मियों ने घंटों की मशक्कत के बाद काबू पा लिया, सभी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया, लेकिन घटना के अगले दिन भी लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की टीम मौके पर जांच के लिए नहीं पहुंची।
घटना के बाद जब यह जांचना जरूरी था कि होटल का निर्माण नक्शे के अनुसार हुआ था या नहीं, आग से बचाव के इंतजाम थे या नहीं, तब संबंधित ज़ोनल अधिकारी का फोन बंद मिला और अन्य अधिकारियों ने फोन उठाना तक ज़रूरी नहीं समझा। यह रवैया प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है। यह पहला मामला नहीं है। 2019 में होटल विराट और एसएसजी होटल में लगी भीषण आग में सात लोगों की जान गई थी। 2022 में होटल लेवाना की आग में चार लोग मारे गए थे। तब एलडीए और अन्य विभागों ने कार्रवाई का दम भरा था, लेकिन समय बीतते ही सब ठंडे बस्ते में चला गया।
चारबाग और होटल उद्योग का सच
चारबाग क्षेत्र में रेलवे स्टेशन होने की वजह से होटल व्यवसाय फल-फूल रहा है। रिपोर्टों के मुताबिक, लखनऊ में करीब 2000 से अधिक होटल संचालित हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में होटल बिना नक्शा पास कराए, संकरी गलियों और आवासीय इलाकों में चल रहे हैं। न सुरक्षा इंतजाम हैं, न अग्निशमन उपकरण। 2022 की लेवाना होटल त्रासदी के बाद ज़ोन-6 की टीम ने 140 ऐसे होटलों की पहचान की थी जिनका नक्शा स्वीकृत नहीं था और जिनके पास फायर सेफ्टी के इंतजाम नहीं थे।
- 100 होटल ध्वस्तीकरण के योग्य पाए गए
- 40 को सील करने का आदेश जारी हुआ
लेकिन नेताओं और उच्चाधिकारियों के दबाव में एलडीए ने कार्रवाई से किनारा कर लिया।
निर्माण और सुरक्षा के मानक जो अनदेखे हो रहे हैं:
- स्वीकृत नक्शे के अनुसार निर्माण
- आग बुझाने के हाईड्रेंट, अलार्म व उपकरण
- पर्याप्त निकास द्वार और सीढ़ियाँ
- फायर NOC और उपकरणों की समय पर रीफिलिंग
- फायर ब्रिगेड की पहुँच हेतु पर्याप्त सेटबैक
- रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और पार्किंग व्यवस्था