कोर्ट ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए दिया चार सप्ताह का समय
लखनऊ,संवाददाता : अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाना अब वकीलों को भी भारी पड़ सकता है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एक अभूतपूर्व फैसले में स्थानीय वकील अशोक पांडे को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराते हुए छह महीने की सजा सुनाई है।
यह मामला तब सामने आया जब पांडे, बिना गाउन और कमीज के खुले बटन के साथ अदालत में पेश हुए और न्यायाधीशों से कथित दुर्व्यवहार किया। यह घटना 18 अगस्त 2021 की है, जिस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत ने आपराधिक अवमानना याचिका दर्ज की थी। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति बी. आर. सिंह की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने पांडे पर ₹2,000 का जुर्माना भी लगाया है। तय समय—एक महीने के भीतर जुर्माना न देने पर उन्हें एक माह की अतिरिक्त जेल होगी। कोर्ट ने उन्हें लखनऊ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।
इतना ही नहीं, पीठ ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है, जिसमें पूछा गया है कि उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय और इसकी लखनऊ पीठ में प्रैक्टिस करने से क्यों न रोका जाए। इसका जवाब एक मई तक देना अनिवार्य है। मामले में गंभीरता इस वजह से भी बढ़ी क्योंकि पांडे ने न्यायाधीशों को कथित रूप से ‘गुंडा’ कहकर संबोधित किया और पिछली अवमानना कार्यवाहियों में भी उनका रिकॉर्ड संदिग्ध पाया गया। गौरतलब है कि 2017 में भी उन्हें दो साल के लिए हाईकोर्ट परिसर से प्रतिबंधित किया गया था। अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि, “कोर्ट की मर्यादा और गरिमा की रक्षा करना सभी अधिवक्ताओं का कर्तव्य है, और उसका उल्लंघन न्याय व्यवस्था की नींव को हिला सकता है।”