पीड़ितों को जल्द मिलेगी राहत, कमिश्नरेट में नई व्यवस्था अगले सप्ताह से लागू
लखनऊ,संवाददाता : साइबर ठगी के मामलों में अब पीड़ितों को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। पुलिस आयुक्त अमरेंद्र कुमार सेंगर की पहल पर साइबर क्राइम सेल को अब साइबर क्राइम थाने में समायोजित कर दिया गया है। यह नई व्यवस्था कमिश्नरेट क्षेत्र में अगले सप्ताह से लागू हो जाएगी।
अब तक की व्यवस्था के तहत साइबर ठगी के मामलों में शिकायत के लिए दो अलग-अलग इकाइयों—साइबर सेल और साइबर थाना—के बीच चक्कर काटने पड़ते थे। पांच लाख रुपये तक की ठगी के मामलों की शिकायत पहले साइबर क्राइम सेल में होती थी, जबकि उससे अधिक राशि की ठगी पर सीधे साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज होती थी। इन दोनों इकाइयों की निगरानी अलग-अलग अधिकारियों द्वारा की जाती थी, जिससे न केवल जांच में देरी होती थी बल्कि पीड़ितों की धनराशि की वापसी भी लंबे समय तक अटकी रहती थी।
अब पुलिस कमिश्नर ने इन दोनों इकाइयों को एकीकृत करते हुए एक ही छत के नीचे कार्य करने की अनुमति दे दी है। अब सभी साइबर अपराधों की शिकायतें सीधे साइबर क्राइम थाने में दर्ज होंगी। मामले की निगरानी अब पुलिस उपायुक्त (अपराध) कमलेश दीक्षित द्वारा की जाएगी, जिससे जांच की गति बढ़ेगी और समयबद्ध निस्तारण संभव हो सकेगा। नई व्यवस्था के तहत पांच लाख रुपये से अधिक की ठगी के मामलों को साइबर क्राइम थाने में दर्ज किया जाएगा, जबकि इससे कम राशि के मामलों को संबंधित थाने में स्थित साइबर हेल्प डेस्क पर दर्ज कराया जा सकेगा। इस एकीकृत प्रणाली से न सिर्फ कार्य में पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई संभव होगी, बल्कि पीड़ितों को भी त्वरित राहत मिल सकेगी।