प्रदेश सरकार के माफिया मुक्त उत्तर प्रदेश के दावे खोखले साबित हो रहे हैं
लखनऊ,संवाददाता : उत्तर प्रदेश के कानपुर में चर्चित अधिवक्ता अखिलेश दुबे के मामले ने तूल पकड़ लिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और बीजेपी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इसे “भ्रष्टाचार का त्रिकोणीय मॉडल” करार देते हुए ट्वीट किया कि, उत्तर प्रदेश में बीजेपी का भ्रष्टाचार त्रिकोणीय है: फर्जी एनकाउंटर करने वाली भ्रष्ट बीजेपी सरकार, काला धन कमाने वाले बीजेपी समर्थित भ्रष्ट अधिकारी, और इन दोनों की करतूतों को छिपाने वाला बीजेपी का वकील। अखिलेश यादव ने सवाल उठाया कि क्या अब इन अवैध गतिविधियों पर बुलडोज़र चलेगा या मामला दबा दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार के “माफिया मुक्त उत्तर प्रदेश” के दावे खोखले साबित हो रहे हैं, और अब “माफिया महामाफिया में बदल चुके हैं।”
क्या है पूरा मामला?
कानपुर के अधिवक्ता अखिलेश दुबे पर गंभीर आरोप हैं कि उन्होंने प्रशासन और पुलिस के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिलकर 1500 करोड़ रुपये से अधिक की जमीन पर कब्जा किया।
एसआईटी जांच में अब तक सामने आए तथ्य:
- 54 से अधिक फर्जी मुकदमे दर्ज।
- फर्जी मामलों के जरिए लोगों से रंगदारी वसूली।
- आरोपियों में कुछ आईपीएस और पीपीएस अधिकारी भी शामिल।
- अवैध कमाई को दुबे की कंपनियों और प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट किया गया।
मामला कैसे उजागर हुआ?
बीजेपी नेता रवि सतीजा ने दुबे के खिलाफ 50 लाख की रंगदारी मांगने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद अखिलेश दुबे की गिरफ्तारी हुई और 17 अगस्त 2025 से अब तक 5 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। इस मामले ने यूपी की राजनीति में हलचल मचा दी है। विपक्ष इसे सत्ता और प्रशासन की “सांठगांठ” करार दे रहा है, वहीं भाजपा अब तक इस पर कोई विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं दे पाई है।
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि—
- क्या बुलडोज़र इस भू-माफिया पर चलेगा?
- क्या दोषी अफसरों पर कार्रवाई होगी?
- या मामला “ऊपर से” दबा दिया जाएगा?