अब इस मामले की अगली सुनवाई तीन जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है
लखनऊ,संवाददाता : उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने धार्मिक शिक्षा देने पर रोक के एक आदेश के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए याची मदरसों के विरुद्ध किसी भी प्रशासनिक कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसके साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है। यह आदेश न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की एकल पीठ द्वारा पारित किया गया है। सुनवाई मदरसा मोइनुल इस्लाम कस्मिया सहित दो दर्जन से अधिक मदरसों की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर की गई, जो सभी उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले से संबंधित हैं।
याची पक्ष की दलील
याचियों की ओर से अधिवक्ताओं नृपेंद्र सिंह, अविरल राज सिंह तथा मो. यासिर ने न्यायालय के समक्ष यह दलील दी कि 1 मई 2025 अथवा उसके आसपास की तिथियों में इन मदरसों को नोटिस जारी किए गए, जिनमें धार्मिक शिक्षा न देने का निर्देश दिया गया था। दलील में कहा गया कि इन नोटिसों के आधार पर पर्याप्त अवसर दिए बिना धार्मिक शिक्षा पर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता उपेंद्र सिंह ने न्यायालय से विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा।
न्यायालय ने यह अनुरोध स्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई तक याची मदरसों के विरुद्ध कोई प्रशासनिक कार्रवाई अथवा ध्वस्तीकरण की कार्यवाही नहीं की जाएगी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई 3 जुलाई 2025 को होगी। तब तक सभी पक्षों को दस्तावेज एवं उत्तर दाखिल करने होंगे।