सनातन महापरिषद के प्रयासों और मुख्यमंत्री धामी के संकल्प से संजीवनी पाएगा प्राचीन धरोहर

लखनऊ,संवाददाता : भारत की सनातन संस्कृति और गौरवशाली इतिहास का प्रतीक कण्वाश्रम अब अपने जीर्णोद्धार की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ा चुका है। लंबे समय से सनातन महापरिषद भारत के पदाधिकारियों द्वारा किए जा रहे अथक प्रयास और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संवेदनशील रुख का परिणाम है कि शुक्रवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम ने कण्वाश्रम क्षेत्र का सर्वेक्षण किया। टीम ने शिलाओं, प्राचीन मूर्तियों, वास्तु शिल्प के अवशेष, पुराने बर्तनों के टुकड़े और मालिनी नदी के दोनों तटों का गहन निरीक्षण कर महत्वपूर्ण नमूनों को परीक्षण हेतु संकलित किया। यह कदम इस ऐतिहासिक धरोहर को नई पहचान दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
सालों की तपस्या का फल
सनातन महापरिषद भारत बीते कई वर्षों से विभिन्न सरकारों के समक्ष कण्वाश्रम के पुनर्जीवन की मांग रखती आ रही थी। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए गढ़वाल कमिश्नर विजय शंकर पांडेय एवं जगदीश चंद्र कांडपाल को आवश्यक निर्देश दिए। नतीजतन आज यह ऐतिहासिक कार्य संभव हो सका।
पदाधिकारियों ने जताया आभार
महासभा के पदाधिकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष भवान सिंह रावत, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सी.एम. पांडेय, महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष कंचन सुंडली, कोटद्वार मेयर शैलेन्द्र रावत, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अशोक असवाल, प्रदेश अध्यक्ष (दिल्ली) सोमप्रकाश गौड़, उत्तराखंड उपाध्यक्ष महेन्द्रनाथ, प्रदेश उपाध्यक्ष मयंक भारद्वाज, महिला प्रकोष्ठ (उ.प्र.) अध्यक्ष बबीता राय आदि ने इस ऐतिहासिक पहल पर हर्ष व्यक्त किया। सभी ने माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सांसद गढ़वाल अनिल बलूनी का आभार जताते हुए कहा कि यह केवल कण्वाश्रम का नहीं, बल्कि भारत की सनातन आत्मा के पुनर्जागरण का क्षण है।
आगे की राह
सनातन महापरिषद के पदाधिकारी इसी माह मुख्यमंत्री धामी से मिलकर औपचारिक रूप से धन्यवाद ज्ञापन करेंगे और जीर्णोद्धार कार्य को गति देने का आग्रह करेंगे। यह केवल सूचना नहीं, बल्कि प्रेरणा है—कि जब संकल्प, संस्कृति और शासन-प्रशासन का सहयोग एक साथ जुड़ जाए, तो इतिहास खुद को पुनः जीवित कर लेता है।