सुबह से परिजन उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकर भटकते रहे
लखनऊ, संवाददाता: अमौसी एयरपोर्ट के पास रहने वाले शिवा के 11 वर्षीय बेटे कान्हा की गुरुवार को मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही के कारण बच्चे को समय पर इलाज नहीं मिला, जिससे उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। कान्हा को निमोनिया की शिकायत थी और सुबह से परिजन उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकर भटकते रहे।
इलाज में देरी और लापरवाही का आरोप
शिवा ने बताया कि पहले नजदीकी निजी अस्पताल से दवा ली गई, लेकिन बच्चे की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। गुरुवार सुबह कान्हा को सांस लेने में कठिनाई होने पर उसे लोकबंधु अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे भर्ती करने की बजाय ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। आरोप है कि बच्चे को ट्रॉमा सेंटर ले जाने में समय बर्बाद हुआ और पर्चा बनाने से लेकर इलाज में देर हो गई, जिससे बच्चे की सांस उखड़ने लगी। सीपीआर देकर वेंटीलेटर सपोर्ट पर डाला गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका डॉक्टरों ने बच्चे को सीपीआर देकर वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। परिजनों का कहना है कि अगर लोकबंधु अस्पताल में ही बच्चे का इलाज शुरू हो जाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी।
चिकित्सा अधीक्षक का बयान
लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर ने कहा कि इमरजेंसी में मरीज का पर्चा तक नहीं बनाया गया था। मामले की जांच कराई जाएगी और यदि लापरवाही पाई जाती है, तो संबंधित डॉक्टर और स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।यह घटना अस्पतालों में इलाज में देरी और लापरवाही के गंभीर सवाल उठाती है, जिस पर अब प्रशासनिक स्तर पर जांच शुरू कर दी गई है।
 
			 
		     
                                





















