एलयू के प्रोफेसर बिमल जायसवाल को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दिया महत्वपूर्ण फैसला
लखनऊ,संवाददाता : लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) के प्रोफेसर बिमल जायसवाल की नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने एकल पीठ के फैसले को पलटते हुए राज्य सरकार को जांच का आदेश देने का पूरा अधिकार प्रदान किया। इसके साथ ही, सरकार को यह भी छूट दी गई है कि वह नई जांच कमेटी का गठन कर सकती है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने पारित किया। सरकार की ओर से दायर की गई विशेष अपील को मंजूरी देते हुए कोर्ट ने यह निर्णय लिया। सरकार के अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी ने दलील दी कि स्टेट यूनिवर्सिटी एक्ट की धारा 8 के तहत राज्य सरकार को इस मामले में जांच करानी का पूरा अधिकार है।
प्रो. बिमल जायसवाल के अधिवक्ता ने एकल पीठ के फैसले को विधि सम्मत बताते हुए इसका विरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि इस जांच की प्रक्रिया 12 साल बाद शुरू की गई है। हालांकि कोर्ट ने यह पाया कि राज्य सरकार को ऐसी जांच कराने का पूरा अधिकार है। लेकिन, कोर्ट ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय के कार्यभार को देखने वाला कोई व्यक्ति जांच कमेटी का हिस्सा नहीं होना चाहिए।
प्रो. बिमल जायसवाल पर आरोप है कि उनके पिता प्रो. सियाराम जायसवाल लविवि में प्रोफेसर थे, इसलिए वह ओबीसी आरक्षण का लाभ पाने के योग्य नहीं थे। बावजूद इसके, उन्होंने यह जानकारी छिपाकर 2005 में उक्त पद के लिए आरक्षण का लाभ प्राप्त किया। इसके अलावा, उन पर अन्य अनियमितताओं के भी आरोप लगाए गए हैं। कोर्ट ने सरकार को नई जांच कमेटी बनाने का निर्देश दिया, लेकिन यह शर्त रखी कि कमेटी में विश्वविद्यालय का कार्यभार देखने वाला व्यक्ति शामिल नहीं होना चाहिए।