प्राथमिक स्कूलों को उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय किया जाएगा
लखनऊ,संवाददाता : उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों के विलय के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई पूरी कर ली है। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया। इस मामले में सबसे पहली याचिका सीतापुर जिले के 51 स्कूली बच्चों, जिनमें प्रमुख रूप से कृष्णा कुमारी शामिल हैं, की ओर से दाखिल की गई थी। इसके अलावा, इसी विषय पर एक अन्य रिट याचिका भी न्यायालय में प्रस्तुत की गई थी।
विवाद का विषय: 16 जून का सरकारी आदेश
याचिकाओं में 16 जून 2024 को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया है कि छात्रों की संख्या के आधार पर प्राथमिक स्कूलों को उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय किया जाएगा। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह आदेश मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार कानून (RTE Act) का उल्लंघन है और इससे छोटे बच्चों को स्कूल जाने के लिए अधिक दूरी तय करनी पड़ेगी, जो उनके हित में नहीं है।
याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता डॉ. एल.पी. मिश्र और गौरव मेहरोत्रा ने तर्क दिया कि स्कूलों का यह मर्जर शिक्षा के अधिकार का हनन है। बच्चों की उम्र और परिस्थितियों को देखते हुए, पास के प्राथमिक स्कूलों की सुविधा उन्हें सहज शिक्षा देने के लिए जरूरी है।
राज्य सरकार की सफाई
वहीं, राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया और मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने पक्ष रखते हुए कहा कि यह निर्णय संसाधनों के बेहतर उपयोग और बच्चों को गुणवत्ता-पूर्ण शिक्षा देने के लिए लिया गया है। सरकार ने दावा किया कि स्कूल विलय से प्रबंधन सुगम होगा और शिक्षा व्यवस्था अधिक प्रभावी बनेगी। सुनवाई के दौरान बेसिक शिक्षा विभाग के अधिवक्ता भी न्यायालय में उपस्थित रहे।
क्या है आगे?
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया है। अब इस बहुप्रतीक्षित निर्णय पर पूरे राज्य की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि इससे शिक्षा नीति, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की स्कूली सुविधा पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।