मोदी के काशी आगमन से पहले सांप्रदायिक तनाव के दो बड़े धमाके, कानून ने साधा पहरा, पर सपा ने साधा मौन!
(शोभित शुक्ला ‘शुभ’)लखनऊ,संवाददाता : काशी में सावन के तीसरे सोमवार पर अदलपुरा से जंसा शिवधाम जल चढ़ाने निकले श्रद्धालु पल्टू यादव और शुभम यादव का जो अनुभव रहा, वह आस्था के नाम पर अपराध का एक नया अध्याय बन गया है। ‘हर-हर महादेव’ और ‘बोल बम’ के जयघोष के साथ चल रहे इन शिवभक्तों को राजातालाब रेलवे फाटक के समीप कुछ मुस्लिम युवकों ने रोककर ना सिर्फ धमकाया, बल्कि खुलेआम धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया।

“यह नारा तुम्हारे लिए नहीं है, अल्लाह हू अकबर बोलो” – ऐसा कहकर न केवल धार्मिक स्वतंत्रता को लहूलुहान किया गया, बल्कि जब विरोध हुआ तो धारदार हथियार से हमला भी किया गया। पल्टू के सिर पर वार हुआ, शुभम को सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर मारा गया।
घटना के बाद इलाके में आक्रोश फैल गया, कांवड़ियों ने रास्ता जाम कर धरना शुरू किया। मौके पर पहुंचे विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष राजेश पांडे, आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़ गए, लेकिन पुलिस ने उल्टा उन्हें ही हिरासत में ले लिया। इस बीच DCP आकाश पटेल व ADCP के बीच तीखी झड़प हुई, विहिप नेता की लाइसेंसी बंदूक भी जब्त कर ली गई।
मस्जिद में साड़ी में डिंपल, मौलाना की जुबान फिसली, समाजवाद फिर भी मौन!

दूसरी ओर, सपा सांसद डिंपल यादव के संसद मार्ग स्थित मस्जिद में हुए दौरे पर ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के मौलाना साजिद रशीदी ने टीवी डिबेट में ऐसा बयान दे डाला जो न केवल महिलाओं के सम्मान पर चोट करता है बल्कि इस्लाम की सौम्यता पर भी प्रश्नचिह्न बन जाता है। डिंपल के वस्त्रों को लेकर की गई ‘अशोभनीय’ टिप्पणी ने पूरे राजनीतिक पटल पर बवंडर खड़ा कर दिया। हालांकि सपा सांसद इकरा हसन ने इसका प्रतिवाद करते हुए मौलाना के सामाजिक बहिष्कार की मांग की है, लेकिन पार्टी नेतृत्व के स्तर पर चुप्पी एक बार फिर भारी पड़ी है।
मोदी आएंगे काशी में, पुलिस एक्शन में, पर सपा अब भी ‘ऑफलाइन मोड’ में!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित काशी दौरे से ठीक पहले हुई इन दोनों घटनाओं ने बनारस को संवेदनशील बना दिया है। प्रशासन ने ताबड़तोड़ एक्शन लिया – एक ओर धारदार हमले के आरोप में 12 में से 6 आरोपी गिरफ्तार हुए, दूसरी ओर सांप्रदायिक तनाव को भांपते हुए राजातालाब-जंसा मार्ग सील कर दिया गया।
लेकिन सवाल बना हुआ है – क्या समाजवादी पार्टी की धर्मनिरपेक्षता सिर्फ चुनिंदा घटनाओं पर सक्रिय होती है? एक ओर उनकी सांसद महिला गरिमा के अपमान की शिकार हो रही हैं, दूसरी ओर उन्हीं के नाम वाले श्रद्धालु पीटे जा रहे हैं – फिर भी अखिलेश यादव चुप क्यों हैं?
समाज बने जागरूक प्रशासन रहे सतर्क
काशी की गलियों में हर-हर महादेव का जयघोष अब किसी विचारधारा या पार्टी से नहीं, बल्कि एक मूलभूत अधिकार से जुड़ा मसला बनता जा रहा है। और जब इस अधिकार को चोट पहुंचे, तो राजनीतिक दलों की चुप्पी सिर्फ मौन नहीं होती — सहमति मानी जाती है। ऐसी घटनाओं पर समाज को जागरूक और प्रशासन को सतर्क रहना होगा – क्योंकि जब बोल बम पर बवाल और साड़ी पर सवाल खड़े होने लगें, तो समझिए आस्था और सम्मान दोनों ही खतरे में हैं।