मतदाताओं की सुविधा के लिए तय हों नए मतदेय स्थल, ऑनलाइन नाम जुड़वाने की सुविधा भी उपलब्ध
लखनऊ(संवाददाता),संवाददाता : उत्तर प्रदेश में वर्ष 2026 में प्रस्तावित पांच स्नातक और छह शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों के चुनाव की तैयारियां प्रारंभ हो गई हैं। निर्वाचन कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि इन चुनावों के लिए निर्वाचक नामावलियों का पुनरीक्षण वर्ष 2025 में किया जाएगा और इसके लिए अर्हता तिथि 1 नवम्बर 2025 निर्धारित की गई है। ऑनलाइन नामांकन की सुविधा
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि इस बार स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों की नामावलियों में नाम जोड़ने के लिए ऑनलाइन पोर्टल की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि योग्य नागरिक आसानी से आवेदन कर सकें।
उप निर्वाचन क्षेत्रों में होंगे चुनाव
उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कुल आठ-आठ सदस्य स्नातक व शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों से चुने जाते हैं। इनमें से लखनऊ, मेरठ, आगरा, वाराणसी और इलाहाबाद-झांसी स्नातक क्षेत्र तथा लखनऊ, मेरठ, आगरा, वाराणसी, बरेली-मुरादाबाद व गोरखपुर-फैजाबाद शिक्षक क्षेत्रों के वर्तमान सदस्यों का कार्यकाल 7 दिसम्बर 2026 को समाप्त हो रहा है। निर्वाचन क्षेत्र में शामिल जिलों में बाराबंकी, रायबरेली, प्रयागराज, अयोध्या, गोरखपुर, मेरठ, आगरा आदि प्रमुख हैं।
मतदेय स्थलों का नया निर्धारण होगा
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि इस बार मतदाताओं की सुविधा को प्राथमिकता दी जाएगी। मतदेय स्थल इस प्रकार तय किए जाएंगे कि किसी भी मतदाता को 16 किलोमीटर से अधिक दूरी तय न करनी पड़े। इसके लिए शौचालय, पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाएं भी आवश्यक होंगी।
दोहरी मतदाता सुविधा
उन्होंने यह भी कहा कि जो मतदाता स्नातक और शिक्षक दोनों निर्वाचन क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं, उन्हें एक ही स्थान पर मतदान करने की सुविधा मिले, ताकि उन्हें अलग-अलग केन्द्रों पर जाने की आवश्यकता न हो।
पात्रता नियमों में पारदर्शिता
स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में नाम जुड़वाने के लिए आवेदक का कम से कम तीन वर्ष पूर्व भारत के किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक होना आवश्यक है। वहीं, शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लिए आवेदक को बीते छह वर्षों में कम से कम तीन वर्ष तक माध्यमिक स्तर से ऊपर के किसी शैक्षणिक संस्थान में अध्यापन कार्यरत रहना चाहिए।
राजनीतिक दलों से भी ली जाएगी राय
निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि मतदेय स्थलों के निर्धारण में राजनीतिक दलों से विमर्श कर निर्णय लिया जाए, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और किसी क्षेत्र विशेष में असंतुलन न हो। बता दें कि निर्वाचन आयोग की यह पहल राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक सुगम, पारदर्शी और सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। आगामी महीनों में पुनरीक्षण प्रक्रिया के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।