रक्षाबंधन की मुफ्त सेवा का अल्पसंख्यक समुदाय ने भी बढ़-चढ़कर लाभ उठाया
लखनऊ,संवाददाता : रक्षाबंधन के अवसर पर उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग द्वारा महिलाओं के लिए निशुल्क बस सेवा शुरू की गई, जिससे लाखों बहनों को यात्रा में राहत मिली। लेकिन भीषण भीड़ और सीमित बसों के कारण यह सुविधा कई यात्रियों के लिए मुसीबत का कारण भी बन गई। शहर के आलमबाग, चारबाग, कैसरबाग और अवध बस अड्डों पर मंगलवार सुबह से ही भारी भीड़ जमा हो गई थी। यात्रियों का कहना है कि बसों के कम आने और देर से चलने के कारण उन्हें 2 से 3 घंटे तक खड़ा रहना पड़ा।
धक्का-मुक्की, खिड़की से चढ़ाई और लंबा इंतजार
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जैसे ही कोई बस अड्डे पर पहुंचती, सीट पाने की होड़ मच जाती। यात्रियों को गेट से चढ़ने का मौका नहीं मिला, तो कई लोग खिड़की से ही बस में घुसते दिखे। खासकर अवध बस अड्डे पर सबसे अधिक अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिला। कुछ महिलाओं के बीच बस में चढ़ने को लेकर धक्का-मुक्की की स्थिति भी बनी। बुजुर्गों और बच्चों के साथ यात्रा कर रहीं महिलाएं खासे तनाव और असुविधा का शिकार हुईं।
“राहत की जगह बनी परेशानी” – यात्रियों की प्रतिक्रिया
यात्रियों ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि रक्षाबंधन पर निशुल्क यात्रा से सहूलियत मिलेगी, लेकिन प्रबंधन की कमी और बसों की सीमित संख्या के कारण यह सुविधा तनाव और भीड़ का कारण बन गई। बुजुर्ग यात्रियों और महिलाओं को घंटों खड़ा रहना पड़ा, जिससे उनमें असंतोष दिखाई दिया।
परिवहन विभाग ने मानी व्यवस्था में कमी
इस संबंध में एआरएम गौतम कुमार ने बताया कि, निशुल्क सेवा के कारण यात्रियों की संख्या हमारी अपेक्षा से कहीं अधिक हो गई थी, जिससे व्यवस्था प्रभावित हुई। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भीड़ को नियंत्रित करने और अतिरिक्त बसों की व्यवस्था की आवश्यकता थी।
अल्पसंख्यक समुदाय ने भी दिखाया उत्साह
रक्षाबंधन की मुफ्त सेवा का अल्पसंख्यक समुदाय ने भी बढ़-चढ़कर लाभ उठाया। आलमबाग, कैसरबाग और चारबाग बस अड्डों पर इस समुदाय की महिलाएं और पुरुष बड़ी संख्या में यात्रा करते नजर आए। अधिक भीड़ के कारण सामान्य यात्रियों को भी कठिनाई का सामना करना पड़ा। परंतु, निशुल्क सेवा का उत्साह हर वर्ग में दिखाई दिया, जिससे यह साफ है कि जनता इस योजना से जुड़ना चाहती है – बशर्ते कि प्रबंधन बेहतर हो।