पिछले कुछ दिनों से संजय निषाद गठबंधन को लेकर तीखे बयान दे रहे हैं
लखनऊ,संवाददाता : उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद एक बार फिर राजनीतिक चर्चाओं के केंद्र में हैं। राजधानी लखनऊ में पार्टी कार्यालय के बाहर लगी एक होर्डिंग ने सियासी हलचल तेज कर दी है, जिसमें लिखा है: निषाद की ताक़त को मत आज़माओ, भरोसे को यूं मत गवाओ यह स्लोगन राजनीतिक गलियारों में भाजपा के लिए ‘साफ़ संदेश’ माना जा रहा है, खासकर तब जब संजय निषाद और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच हाल ही में महत्वपूर्ण मुलाकात हुई है।
बयान, बैठक और बढ़ती बेचैनी
पिछले कुछ दिनों से संजय निषाद गठबंधन को लेकर तीखे बयान दे रहे हैं। गोरखपुर में उन्होंने कहा: अगर उन्हें (भाजपा को) हमारे साथ गठबंधन से कोई फायदा नहीं हो रहा है, तो वे इसे तोड़ दें। वे छोटे नेताओं का इस्तेमाल कर हम पर अभद्र भाषा में हमला क्यों कर रहे हैं? इस बयान के बाद संजय निषाद को उसी रात भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का फोन आया, जिन्होंने मतभेद सुलझाने का आश्वासन दिया। बयान के तुरंत बाद संजय निषाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की, जिसके बाद गठबंधन में दरार या दबाव की राजनीति की अटकलें और तेज हो गईं। इससे पहले वह उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से भी मिल चुके थे।
क्यों लगी होर्डिंग, और क्या है इसका मतलब?
निषाद पार्टी कार्यालय के बाहर लगी होर्डिंग पार्टी नेता बिजेंद्र त्रिपाठी की ओर से लगवाई गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह सिर्फ एक पोस्टर नहीं बल्कि एक सार्वजनिक दबाव की रणनीति है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि 2027 विधानसभा चुनाव से पहले निषाद पार्टी बीजेपी पर अपनी ‘राजनीतिक उपयोगिता’ साबित करने का प्रयास कर रही है।
पार्टी के अंदर और बाहर की प्रतिक्रियाएं
निषाद पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी प्रमुख का बयान और हालिया गतिविधियां इस बात का संकेत हैं कि छोटे दलों की उपेक्षा की जा रही है।
भाजपा द्वारा जय प्रकाश निषाद और साध्वी निरंजन ज्योति जैसे नेताओं के माध्यम से की गई टिप्पणियों ने भी निषाद पार्टी की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। भाजपा का फोकस फिलहाल अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों के बीच अपने स्वयं के नेताओं को उभारने पर है — जिसमें निषाद, राजभर, पटेल और जाट जैसी जातियां शामिल हैं। इससे सहयोगी दलों में असुरक्षा की भावना गहराई है।
क्या टूटेगा गठबंधन? या बढ़ेगा दबाव?
फिलहाल ऐसा कोई आधिकारिक संकेत नहीं है कि निषाद पार्टी गठबंधन तोड़ने की तैयारी में है। लेकिन लखनऊ में लगी यह होर्डिंग, हालिया बयानों की श्रृंखला, और लगातार हो रही बैठकों से यह स्पष्ट है कि पार्टी अपनी राजनीतिक अहमियत दिखाना चाहती है।