फिलहाल आयोग पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है
लखनऊ, संवाददाता : उत्तर प्रदेश में ऊर्जा निगमों के निजीकरण को लेकर जारी विवाद के बीच राज्य विद्युत नियामक आयोग जल्द ही अपनी विस्तृत रिपोर्ट जारी करने वाला है। आयोग ने इससे पहले इस मुद्दे पर अंतरिम रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी थी, जिसमें कई वित्तीय खामियों की ओर इशारा किया गया था। फिलहाल आयोग, उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है।
इस बीच, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने गंभीर आपत्ति जताई है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि निजीकरण की प्रक्रिया में विद्युत अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है और यह पूरी प्रक्रिया असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि मामला केंद्र सरकार के महाधिवक्ता (अटॉर्नी जनरल) के पास भेजा जाना चाहिए ताकि कानूनी स्थिति स्पष्ट हो सके।
वर्मा ने आरोप लगाया कि निजीकरण के लिए प्रस्तावित पांच नई बिजली कंपनियों की रिजर्व बिड प्राइस 6,500 करोड़ रुपये तय करना घोर अनियमितता है, जबकि वास्तविक मूल्यांकन 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मूल्यांकन को जानबूझकर कम करके दिखाया गया है, ताकि निजी घरानों को फायदा पहुँचाया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने निजीकरण मसौदा तैयार करने वाली सलाहकार कंपनी ‘ग्रांट थॉर्नटन’ की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाया। उन्होंने बताया कि यह कंपनी पहले से ही अमेरिका में जुर्माना झेल चुकी है और इसकी विशेषज्ञता बिजली क्षेत्र में नहीं बल्कि राजमार्ग परियोजनाओं में है।