इस तरह की राजनीति युवाओं के रोजगार के अवसरों पर कर रही है सीधा प्रहार
लखनऊ,संवाददाता : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाषा को लेकर हो रही राजनीति की आलोचना की और कहा कि जो राज्य इस विवाद को बढ़ावा दे रहे हैं, वे विकास में पिछड़ रहे हैं। सीएम योगी ने एक न्यूज एजेंसी के साथ साक्षात्कार में यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में रोजगार के बड़े अवसर पैदा हो रहे हैं, और ऐसी संकीर्ण राजनीति से युवाओं की संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा, “उत्तर प्रदेश में रोजगार के नए अवसर खुल रहे हैं और नौकरियां सृजित हो रही हैं। जो लोग भाषा के मुद्दे पर विवाद पैदा कर रहे हैं, वे अपनी राजनीतिक हितों के लिए ऐसा कर सकते हैं, लेकिन इस तरह की राजनीति युवाओं के रोजगार के अवसरों पर प्रहार कर रही है।” जब उनसे पूछा गया कि क्या वह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन का जिक्र कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा, “वो कोई भी हों, वे यही कर रहे हैं। यही कारण है कि ये राज्य धीरे-धीरे पिछड़ते जा रहे हैं। उनके पास कोई अन्य मुद्दा नहीं है और वे राजनीतिक लाभ के लिए भावनाओं को भड़का रहे हैं।” मुख्यमंत्री ने कहा कि तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, बंगाली और मराठी जैसी भाषाएं राष्ट्रीय एकता की आधारशिला बन सकती हैं। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार अपने छात्रों को इन भाषाओं को सिखा रही है। क्या इससे उत्तर प्रदेश किसी भी मायने में छोटा हो गया है? क्या यह उत्तर प्रदेश को कमतर करके दिखाता है?”
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सभी को यह मानना चाहिए कि हिंदी का सम्मान होना चाहिए, लेकिन भारत ने त्रिभाषा फार्मूला अपनाया है। उन्होंने बताया कि यह फार्मूला सुनिश्चित करता है कि क्षेत्रीय भाषाओं को भी समान सम्मान मिले। उन्होंने कहा, “हर भाषा की अपनी विशेषता होती है जो राष्ट्रीय एकता की आधारशिला बनती है।” आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि प्रत्येक क्षेत्रीय भाषा की अपनी लोक परंपराएं और कहानियां होती हैं जो राष्ट्र की विविधता को सामने लाती हैं और इसे मजबूत बनाती हैं। उन्होंने उदाहरण के रूप में ‘काशी तमिल संगमम’ पहल का हवाला दिया, जो तमिल और संस्कृत को एक साथ लाकर भारत की सबसे पुरानी भाषाओं को जोड़ती है। योगी आदित्यनाथ ने इस पहल को भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता का सबसे अच्छा उदाहरण बताया।