विद्यालय के कार्यों के लिए पूरे वर्ष शिक्षकों द्वारा किया जाता है भुगतान
लखनऊ,संवाददाता : बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों को हाल के दिनों में प्लानिंग, प्रिपरेशन, असेसमेंट (पीपीए) प्रक्रिया में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी सहायता राशि को सालभर तक रोककर रखने के बाद, विभाग वित्तीय वर्ष के समाप्ति से महज कुछ दिन पहले मार्च महीने में धनराशि भेजता है। इसके बाद, निर्धारित समय सीमा में इस धनराशि को पीपीए के माध्यम से बैंक के सहयोग से पूरा करना पड़ता है, जो शिक्षकों के लिए एक मुश्किल कार्य बन जाता है।
इस प्रक्रिया के दौरान कई बार पीपीए फेल होने पर शिक्षकों को विकास कार्यों का भुगतान अपनी जेब से करना पड़ता है। सरकार ने बीते कुछ वर्षों से बेसिक शिक्षा परिषद के तहत विद्यालयों में विकास अनुदान और अन्य खर्चों के भुगतान की एक नई ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की है। इसमें शिक्षक सरकारी प्लेटफॉर्म पर जाकर भुगतान के विवरण के साथ अप्लाई करते हैं, जिसके बाद एक पीपीए जेनरेट होता है। इस पीपीए को बैंक में जमा करना होता है, और इसके बाद निर्धारित पार्टियों को भुगतान किया जाता है।
पीपीए के जेनरेट होने से भुगतान पूरा होने तक की प्रक्रिया में अधिकतम दस दिन का समय मिलता है। यदि इस दौरान पीपीए जेनरेट करने और बैंक से भुगतान करवा पाने में सफलता नहीं मिलती, तो वित्तीय वर्ष के समाप्त होने के कारण पूरी धनराशि सरकारी खाते में वापस चली जाती है। इस स्थिति में शिक्षकों के पास केवल पत्राचार का विकल्प रहता है, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकलता। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के अध्यक्ष योगेश त्यागी ने बताया कि विद्यालय के कार्यों के लिए पूरे वर्ष शिक्षकों द्वारा भुगतान किया जाता है, लेकिन इसके लिए धनराशि केवल 15 मार्च के बाद ही अवमुक्त की जाती है। ऐसे में पूरे वर्ष का भुगतान करने के लिए शिक्षकों को केवल 15 दिन का समय मिलता है। इस दौरान पीपीए जेनरेट करने में तकनीकी दिक्कतें आ जाती हैं, जिसके कारण भुगतान नहीं मिलता और शिक्षकों को अपनी जेब से पैसे चुकाने पड़ते हैं।