चुनाव के बाद मनीष सिसोदिया ने विपश्यना ध्यान शिविर में की 11 दिन की मौन साधना
दिल्ली,संवाददाता : विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने सियासत से दूरी बना ली है। दोनों नेताओं की चुप्पी ने सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना दिया है। जहां केजरीवाल हाल ही में विपश्यना ध्यान के लिए पंजाब गए थे, वहीं मनीष सिसोदिया पूरी तरह से सियासी और सार्वजनिक जीवन से गायब रहे।
अब, मनीष सिसोदिया ने अपनी पिछले दिनों की यात्रा के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर बताया कि वे पिछले 11 दिनों से राजस्थान के एक गांव में विपश्यना ध्यान शिविर में थे। इस दौरान उन्होंने पूरी तरह से मौन साधा और बाहरी दुनिया से अपना संपर्क तोड़ लिया। सिसोदिया ने लिखा, “विपश्यना शिविर में दस दिनों तक सिर्फ मौन और ध्यान में ही लीन रहा। दिन में 12 घंटे से ज्यादा समय केवल अपनी सांसों को देखता और अपने मन और शरीर को समझता था। गौतम बुद्ध की यह सीख- चीजों को वैसे ही देखो, जैसी वे हैं, न कि जैसा हम उन्हें देखना चाहते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “यह ध्यान सिर्फ मानसिक शांति नहीं देता, बल्कि यह एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा है। यहाँ तक कि किसी से आंखें मिलाने या इशारों में बात करने की भी मनाही थी। इस अनुभव से यह समझ में आया कि हम दिनभर अपने ही दिमाग में कितना बोलते रहते हैं और यह भी समझ में आया कि उपनिषद क्यों कहते हैं- परमात्मा मौन है। परमात्मा की भाषा मौन है।” सिसोदिया ने यह भी बताया कि शिविर में 75% प्रतिभागी 20-35 वर्ष के थे। उनका कहना था कि सफलता की दौड़, थकान, और भीतर की उलझन ने उन्हें इतनी कम उम्र में ही इस मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। दिल्ली के शिक्षा मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए सिसोदिया ने कहा, “मुझे खुशी है कि शिक्षा मंत्री रहते हुए मैंने दिल्ली के स्कूलों में ‘हैप्पीनेस क्लास’ शुरू किया। यह शिक्षा के मानवीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम था।” अब मनीष सिसोदिया दिल्ली लौटने वाले हैं और उन्होंने अपने संकल्प को पुनः दोहराया कि उनका लक्ष्य है, “देश के हर बच्चे को बेहतरीन शिक्षा मिले ताकि वे न केवल सफल बल्कि बेहतर इंसान भी बनें।” उन्होंने अंत में कहा, “अगर आपको कभी मौका मिले, तो विपश्यना ध्यान शिविर का यह अनुभव जरूर लें, यह न केवल शांति का मार्ग है, बल्कि खुद को जानने का एक दुर्लभ अवसर भी है।”