18 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर बिताए और कई वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया
नई दिल्ली,संवाददाता : भारत के लिए गर्व का पल अंतरिक्ष में देश का परचम लहराने वाले गगनयात्री शुभांशु शुक्ला की पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी हो चुकी है। उन्हें लेकर लौट रहा स्पेसएक्स का ड्रैगन ‘ग्रेस’ कैप्सूल मंगलवार को भारतीय समयानुसार दोपहर तीन बजे प्रशांत महासागर में सफलतापूर्वक स्पलैशडाउन हुआ। इस ऐतिहासिक मिशन में शुभांशु ने 18 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर बिताए और कई वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया।
कैसे हुआ शुभांशु की धरती पर वापसी का मिशन पूरा?
1. डिपार्चर बर्न्स
- ड्रैगन कैप्सूल ने खुद को ISS से स्वतः अलग किया।
- सुरक्षित दूरी बनाने के लिए कई छोटे-छोटे बर्न्स किए।
2. फेजिंग बर्न्स
- यह पैंतरेबाजी कैप्सूल को धरती की कक्षा से जोड़ने में मदद करती है।
- सटीक लैंडिंग लोकेशन तय होती है।
3. डी-ऑर्बिट बर्न
- कैप्सूल की गति को धीमा करने के लिए 15–24 मिनट तक इंजन जलाया गया।
4. ट्रंक जेटीसन
- ड्रैगन से अनावश्यक हिस्से (ट्रंक) को अलग किया गया।
- इससे वजन घटा और पुनःप्रवेश आसान बना।
5. री-एंट्री
- वायुमंडल में प्रवेश पर 1,900°C तापमान और भारी ड्रैग का सामना।
- कैप्सूल को सुरक्षित रखने के लिए हीट शील्ड सक्रिय।
6. पैराशूट डिप्लॉयमेंट
- 5.5 किमी की ऊंचाई पर दो ड्रोग पैराशूट खुले।
- फिर 2 किमी पर चार मुख्य पैराशूट खुले और कैप्सूल की गति को कम किया।
7. स्पलैशडाउन
- 27 किमी/घंटा की गति से कैप्सूल समुद्र में गिरा।
- पैराशूट अपने आप अलग हो गए।
मिशन के साथ जुड़ी वैज्ञानिक अहमियत
- शुभांशु जो डेटा और प्रयोग लेकर लौटे हैं, वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान और चिकित्सा विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
- यह मिशन भारत की निजी क्षेत्र की अंतरिक्ष भागीदारी का भी प्रतीक बना।
स्पलैशडाउन के दौरान की मुख्य चुनौतियाँ
- पृथ्वी की घूर्णन गति के साथ तालमेल बनाए रखना।
- सुरक्षित लैंडिंग के लिए मौसम की शर्तें – हवा की गति < 16.5 किमी/घंटा, बिजली नहीं, बारिश < 25%।
- 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से नीचे आते हुए, कैप्सूल को सटीक पॉइंट पर उतारना चुनौतीपूर्ण होता है।
भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण
शुभांशु शुक्ला ने न सिर्फ अंतरिक्ष में भारत का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि वह ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय निजी यात्री बने। एक्सिओम-4 मिशन के तहत उनके साथ अमेरिकी, पोलिश और हंगेरियन यात्री भी शामिल थे। इस उपलब्धि पर पूरे देश ने गर्व और उत्साह के साथ उनका स्वागत किया।