महाराणा सांगा की नेतृत्व क्षमता और पराक्रम ने उन्हें एक महान योद्धा के रूप में अमर बना दिया
राजस्थान,संवाददाता : वीर शिरोमणि महाराणा सांगा को लेकर समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा की गई विवादित टिप्पणी के बाद प्रदेश में सियासी घमासान मच गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दिया कुमारी और कांग्रेस के अन्य बड़े नेताओं ने कड़ा विरोध किया है। इस बीच, निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि राष्ट्र नायकों की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाले गैर-जिम्मेदाराना वक्तव्य देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
भाटी ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा कि महाराणा सांगा केवल एक महान योद्धा नहीं थे, बल्कि वे साहस, स्वाभिमान और अदम्य पराक्रम के प्रतीक थे। उनकी वीरता ऐसी थी कि उन्होंने अनेक घावों के बावजूद कभी भी हार नहीं मानी। एक भुजा, एक आंख और एक टांग खोने के बावजूद युद्धभूमि में पूरी दृढ़ता से डटे रहे। उनके शरीर पर युद्ध के दौरान 80 से अधिक घावों के निशान थे, इसीलिए उन्हें “सैनिकों का भग्नावशेष” कहा जाता था।
भाटी ने यह भी कहा कि महाराणा सांगा का चरित्र सिर्फ वीरता तक सीमित नहीं था, वे न्यायप्रिय और उदार शासक भी थे। जब उन्होंने सुल्तान मोहम्मद शाह माण्डु को युद्ध में हराकर बंदी बनाया, तो अपनी विशाल हृदयता का परिचय देते हुए उसे उसका राज्य लौटा दिया। यह उनकी नीति, नैतिकता और नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है। उन्होंने बाबर जैसे आक्रांता को चुनौती देने का साहस दिखाया, और बाबर ने अपनी आत्मकथा में यह स्वीकार किया कि “राणा सांगा भारत के सबसे वीर शासक थे और उन्होंने अपनी वीरता और तलवार के बल पर यह गौरव प्राप्त किया।”
विधायक भाटी ने कहा कि महाराणा सांगा की नेतृत्व क्षमता और पराक्रम ने उन्हें एक महान योद्धा के रूप में अमर बना दिया। खानवा के युद्ध में गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद, उन्होंने अपनी वीरता से आक्रांताओं की बढ़ती शक्ति को चुनौती दी। उनका लक्ष्य केवल अपनी धरती की रक्षा करना नहीं था, बल्कि बाहरी आक्रमणकारियों को रोककर स्वाभिमान और स्वतंत्रता को बनाए रखना भी था। इस पूरी घटना पर भाटी ने कहा कि महाराणा सांगा जैसे महान व्यक्तित्व पर अपमानजनक टिप्पणी करना न केवल उनके बलिदान और साहस का अपमान है, बल्कि इतिहास में दर्ज उनके योगदान का भी अपमान है। उन्होंने सरकार से अपील की कि ऐसे महापुरुषों के सम्मान को ठेस पहुँचाने वाले किसी भी वक्तव्य पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी हमारे महान योद्धाओं के सम्मान को नुकसान पहुँचाने का दुस्साहस न कर सके।