सीवान में आयोजित एक कार्यक्रम में वीडियो लिंक के माध्यम से इस दिखाई झंडी, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुमार भी उपस्थित रहे
छपरा, संवाददाताः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरकारी निजी भागीदारी से बिहार के सारण जिले के मढ़ौड़ा निर्मित एवं पश्चिम अफ्रीका के तटीय देश गिनी को जोड़ते हुए भूमिका अहम बताई। यहाँ निर्यात होने वाले पहले मेक इन इंडिया अत्याधुनिक रेल डीज़ल इंजन को शुक्रवार को हरी झंडी दिखाई।
सीवान में आयोजित एक कार्यक्रम में वीडियो लिंक के माध्यम से इस डीजल रेल इंजन को हरी झंडी दिखाई। इस मौके पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सतीश कुमार भी उपस्थित थे। गिनी के राष्ट्रपति ममाडी डोमबोया के गांव कोमा के नाम पर इंजन का नामकरण किया गया है। दस साल पहले बनी रेलवे लोकोमोटिव फैक्ट्री मढ़ौड़ा से गिनी को 150 मेक इन इंडिया इंजनों का निर्यात किया जाएगा। पहले चरण में दो इंजन आज गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह रवाना हो गए जहां से इन्हें समुद्री मार्ग से गिनी भेजा जाएगा।
भारत से अफ्रीका के गिनी देश में सिमफेर की सिमांडौ लौह अयस्क परियोजना के लिए 150 इवोल्यूशन सीरीज़ ईएस 43 एसी एमआई इंजनों की आपूर्ति की जानी है जिसकी कीमत 3000 करोड़ रुपये से अधिक है। इस वित्तीय वर्ष में 37 इंजनों का निर्यात किया जाएगा जबकि अगले वित्त वर्ष में 82 इंजनों का निर्यात किया जाएगा और तीसरे वर्ष में 31 इंजनों का निर्यात किया जाएगा। कुल मिलाकर भारत से 150 इंजनों को निर्यात गिनी को किया जायेगा।
इन लोकोमोटिव की विशेषता यह हैं कि ये 4500 हाॅर्स पावर वाले इंजन, एसी प्रणोदन, पुनर्योजी ब्रेकिंग, माइक्रोप्रोसेसर-आधारित नियंत्रण और मॉड्यूलर डिजाइन से लैस हैं। ये लोकोमोटिव श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ उत्सर्जन मानकों, अग्नि पहचान प्रणालियों और रेफ्रिजरेटर, माइक्रोवेव और जल रहित शौचालय प्रणाली जैसी आधुनिक सुविधाओं के साथ एर्गोनोमिक क्रू केबिनों के साथ बनाए गए हैं। सिंक्रनाइज़ संचालन और बेहतर माल ढुलाई के लिए डीपीडब्ल्यूसीएस (वितरित पावर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम) फिट किया गया है। लोकोमोटिव का वजन 137 टन है और ये विश्व के सबसे अधिक ईंधन दक्ष रेल इंजन हैं और इन्हें मशीन में थोड़े से समायोजन से बाॅयो ईंधन, मेथेनाॅल और तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) से भी चलाया जा सकता है। इन सभी लोकोमोटिव्स में वातानुकूलित कैब होगा। प्रत्येक लोको में सिंगल कैब होगी और दो इंजन मिलकर अधिकतम स्वीकार्य गति के साथ 100 वैगनों का भार वहन करेंगे। इन इंजनों के निर्माण के लिए, मढ़ौड़ा लोकोमोटिव परिसर में तीन प्रकार के ट्रैक बनाए गए हैं-ब्रॉड गेज, मानक गेज और केप गेज।