महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले कुछ समय से हलचलें तेज़ हैं, और अब एक नया भावनात्मक पहलू सामने आया है
मुंबई,संवाददाता : महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों एक नया भावनात्मक पहलू सामने आया है। डिप्टी सीएम अजीत पवार और उनके चाचा शरद पवार के बीच बढ़ती राजनीतिक दूरियों के बावजूद, पारिवारिक रिश्तों में जुड़ी भावनाएं अब चर्चा का विषय बन गई हैं। अजीत पवार की मां, आशा पवार ने भगवान से प्रार्थना की है कि उनका बेटा और चाचा शरद पवार फिर से एकजुट हो जाएं। इस अपील का असर न केवल पारिवारिक संबंधों पर पड़ेगा, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीतिक दिशा पर भी इसका असर हो सकता है। आशा पवार ने पंढरपुर स्थित विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में दर्शन के दौरान शरद पवार और अजीत पवार के एकजुट होने की प्रार्थना की। यह घटना ऐसे समय पर घटी है जब एनसीपी के भीतर एक विभाजन की स्थिति बन रही है और महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच रही है। आशा पवार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सभी विवाद समाप्त होने चाहिए और अजीत पवार और शरद पवार को एक होना चाहिए। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि उनके बेटे की सभी इच्छाएं पूरी हों।
आशा पवार का यह भावनात्मक बयान शरद पवार और अजीत पवार के बीच बढ़ती राजनीतिक दूरियों को कम करने की पहल मानी जा रही है। यदि दोनों के बीच सुलह होती है, तो यह एनसीपी के लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत साबित हो सकती है। वर्तमान में, अजीत पवार के नेतृत्व में एनसीपी का एक गुट भाजपा-शिवसेना के साथ महाराष्ट्र सरकार में शामिल है, जबकि शरद पवार विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं। यदि शरद पवार और अजीत पवार फिर से एकजुट होते हैं, तो यह केवल एनसीपी के लिए ही नहीं, बल्कि विपक्षी गठबंधन के लिए भी एक मजबूती का संकेत होगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और शिवसेना इस संभावित सुलह पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं। महाराष्ट्र की सियासत में अनिश्चितता बनी हुई है और दोनों पक्षों के बीच मेल-मिलाप की संभावना पर लगातार चर्चा हो रही है। इसके अलावा, महाराष्ट्र की महायुति सरकार (भाजपा-शिवसेना-एनसीपी गुट) के गठन के बाद, राज्य सरकार के भीतर असंतोष की स्थितियां और मंत्रियों के पदों को लेकर विवाद भी जारी हैं। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद, कुछ मंत्रियों द्वारा अभी तक पदभार न ग्रहण करना सरकार में जारी खींचतान और आंतरिक असंतोष को दर्शाता है। कुछ मंत्रियों ने अधिक प्रभावशाली जिलों की जिम्मेदारी देने की मांग की है, जिसके कारण सरकार में आंतरिक विवाद गहराया है। राज्य में इस राजनीतिक असंतोष और परिवार के भीतर संभावित सुलह की स्थिति के बीच, आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के संदर्भ में राजनीतिक समीकरणों में बड़े बदलाव की संभावनाएं हैं।