भारत द्वारा लिए गए फैसले द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा दे सकते हैं
नई दिल्ली,संवाददाता : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत और 20 से अधिक लोगों के घायल होने से भारत में गहरा आक्रोश है, वहीं पाकिस्तान सैन्य कार्रवाई की आशंका से भयभीत है।
भारत सरकार ने इस हमले के बाद सख्त और निर्णायक कदम उठाते हुए:
- सिंधु जल संधि रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की है,
- पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद कर दिया है,
- पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द करने के आदेश दिए हैं,
- और उन्हें देश से निष्कासित करने की तैयारी चल रही है।
इन सभी कदमों ने पाकिस्तान को राजनयिक दबाव में ला दिया है और इसी घबराहट में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आपात बैठक बुलाने की गुहार लगाई सोमवार को पाकिस्तान के अनुरोध पर बंद दरवाज़ों के पीछे यूएनएससी की एक आपात बैठक आयोजित की गई, जो लगभग 1.5 घंटे तक चली। इस बैठक में भारत और पाकिस्तान के बीच उपजे तनाव और आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार ने बैठक के बाद दावा किया कि “हमारा मकसद पूरा हुआ”, लेकिन मीटिंग में कोई ठोस निर्णय या आधिकारिक बयान नहीं आया, जिससे स्पष्ट है कि पाकिस्तान को अपेक्षित समर्थन नहीं मिला।
भारत की प्रतिक्रिया का इंतजार
इस पूरे घटनाक्रम पर भारत की ओर से अब तक कोई औपचारिक टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन जानकारों का मानना है कि भारत जल्द ही पाकिस्तान के खिलाफ राजनयिक और सैन्य दोनों मोर्चों पर जवाबी रणनीति अपना सकता है।
क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि पहलगाम आतंकी हमला और उसके बाद भारत द्वारा लिए गए फैसले द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा दे सकते हैं। आने वाले दिन दोनों देशों के लिए बेहद निर्णायक और संवेदनशील साबित हो सकते हैं।